Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
श्रुतसागर - २९
१३
आ नवमं व्रत स्वीकारनार वर्ष दरमियान सामायिक (सामायिकनी संख्या) धारी शकाय छे. गृहस्थ जीवनमा मुख्यत्वे २४ कलाकमांथी थोडोक समय सावध क्रियाओथी दूर रही, पापमय प्रवृत्तिओथी बे घडी अलग थई, परिणाममां समत्त्वभाव प्रगटे ए आ शिक्षाव्रतनो मूळ उद्देश छे. सामायिकना नीचे प्रमाणेना पांच अतिचारो जाणीने त्यजवा योग्य छे.
अतिचार
अनवस्था दोष
स्मृति विहीन
मन दुष्प्रणिधान : मनमां कुविकल्प चिंतवी मनने दुष्ट करी प्रवर्ताववुं ते... वचन दुष्प्रणिधान : सावद्य वचन बोलवु तेमज वचनने दुष्ट प्रवर्तावयुं ते..... काय दुष्प्रणिधान : सामायिकमां काया गमे तेम प्रवर्ताववी के भींते टेको दइने बेस के निद्रा लेवी ते.
: जे टाईमे सामायिक लीधुं ते पूरे टाइमे न पारे-वहेलुं पारे ते....
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
: सामायिक लइने टाईम भूली जाय ते अथवा सामायिक पारवुं भूली जाय ते.
(१०) देशावगासिक शिक्षाव्रत :
व्याख्या : दिवसमा ८ सामायिक अने उभयकाळ प्रतिक्रमण करवुं ते... देसावगासिक व्रत स्वीकारना दिवसे ओछामां ओछु एकासणानुं पच्चक्खाण कर जोईए. आ देशावगासिक व्रत वर्षमां अमुक दिवसनी संख्यामां धारी शकाय छे. छट्टा अने सातमा गुणव्रतमां जे दिशाओनी अने उपभोग- परिभोग वस्तुओनी मर्यादा बांधी छे, तेनुं संयुक्तरूपे देशावगासिक व्रतमां संक्षेपीकरण करवामां आव्युं छे.
अहीं पण पांच आश्रवने मर्यादित भूमिमां सेवन करवानुं विधान छे. आ व्रतनी विशेषता एछे के पहेलां पांच अणुव्रतो अने ऋण गुणव्रतोमां जे मर्यादा बतावी छे ते जीवन-निर्वाह माटे छे. ए ज मर्यादाओने अहीं अतिसंक्षिप्त करी, समभावपूर्वक विशेषे करीने धर्माराधन करवा माटे आ व्रतनी विशेष आवश्यकता छे.
अतिचार
आनयन प्रयोग : धारेल उपरांत भूमिमांथी वस्तु मंगाववी ते. : धारेली हद बहार वस्तु मोकलवी ते.
प्रेष्यप्रयोग
शब्दानुपाद : शब्द करीने धारेली हद बहारथी वस्तु मंगाववी ते रूपानुपात : रूप देखाडीने घारेली हदनी बहारनी वस्तु मंगाववी ते.
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84