Book Title: Shrutsagar Ank 2013 06 029
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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जून २०१३
सातमा व्रतना २० अतिचार छे एमांथी पहेला पांच अतिचार भोजन संबंधी छे अने शेष १५ अतिचार व्यापार संबंधी छे.
(८) अनर्थदंड विरमण गुणव्रत :
व्याख्या : पापोथी खदबंदता आ संसारमां बीनजरूरी पापो करवा ते कहेवाय अनर्थदंड! आ अनर्थदंडथी यथाशक्ति पाछा फरवुं ते आ व्रतनुं फळ स्वरूप परिणाम छे.
गृहस्थने केटलाक कामो तो आवश्यकतानुसार करवा पडे छे अने ते संबंधी आश्रवो पण एणे सेववा पडे छे, परंतु केटलाक कारणो एवां पण छे के जेने लइने एने निरर्थक ज कर्मदंडना भागी बनवुं पडे छे.
अतिचार
कंदर्प
कौकुच्य
मौर्य
: विकार वधे तेवी कुचेष्टा करवी ते.
:
काम उत्पन्न करनारी वातो करवी ते.
: मुख वडे हास्यादिकथी जेम तेम बोलवु अथवा कोइनी गुप्तवात खुल्ली करवी.
संयुक्ताधिकरण : जरूर करतां वधु अधिकरणो / हथियारो राखवा ते. अथवा अधिकरणो तैयार करीने राखवा ते.
भोगातिरिकता : भोग-उपभोगना साधनो खप करता वधु तैयार राखवा ते.
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अनादिकाळी संसारमां भटकता जीवात्मामा काम, क्रोध, इर्ष्या, अदेखाइ इत्यादिना संस्कारो धरबायेला पड्यां छे. आ संस्कारोथी आत्मा दोषो अने कषायोथी वासित बने छे. संस्कारोने कारणे एने अवळी शिक्षा प्राप्त थाय छे. व्रत पालनमां उद्यमी बनेल आत्माने शुभनुं शिक्षण अने सेवन मळे ए हेतुथी आ चार शिक्षाव्रतोनी संयोजना छे.
चार शिक्षाव्रतो :
चार
चार व्रतो संयमधर्मनी तालिम - शिक्षारूप होवाथी शिक्षाव्रत कहेवाय छे. व्रतोना पालनथी श्रमण धर्मनो अभ्यंतर परिचय मळी रहे छे.
(९) सामायिक शिक्षाव्रत :
राग-द्वेषमां समभाव राखवो ते सामायिकनुं चरम फळ छे. आवी समभावनी साधनारूप ४८ मिनिटनी विरति तेनुं नाम छे सामायिक
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