Book Title: Shrenika Charitra
Author(s): Shubhachandra Acharya, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्रीशुभचन्द्राचार्यवर्येण विरचितम्
यत्नतो घटमादाय स एकं विस्मितोऽभवत् । तस्याः सवधिमागत्य बभाषे शुभयागिरा ॥७२॥ रे मातस्त्वत्समा बालां नाकामवलोकयं । वृषद्धितचेतस्कां क्षांतिपूरितविग्रहां ॥ ७३ ॥ असाधारा महाक्षांतिस्त्वयि विद्येत भोस्वसः । मुनावपि वसत्क्षांते रीदृशा याहि संशयः ॥ ७४ ॥ भग्नेषु तेषु रे मात रामषीस्तकथंचन । अभूच्चित्रमिदं चित्रं न दृष्टं कुत्र भूतले ॥ ७५ ॥ अशीशममहं कोपं यतस्तत्फलमुल्वणं । अभोजमिति सावादीत् श्रेष्ठिनं कृतकौतुकं ॥ ७६ ॥
प्रिय जिनदत्त ! यदि वह तेल फैल गया तो फैल जाने दे, मेरे यहाँ बहुत तेल रखा है, जितना तुझे चाहिए उतना ले जा और मुनिराज की पीड़ा दूर करने का उपाय कर। ब्राह्मणी के ऐसे उत्तम किंतु संतोषप्रद वचन सुन जिनदत्त का सारा भय दूर हो गया। ब्राह्मणी की आज्ञानुसार उसने शीघ्र ही दूसरा घड़ा अपने कंधे पर रख लिया किंतु ज्योंही घड़ा लेकर जिनदत्त कुछ चला ठोकर खा चट जमीन पर गिर गया और घड़ा फट जाने से फिर सारा तेल फैल गया। ब्राह्मणी की आज्ञानुसार जिनदत्त ने तीसरा घडा भी अपने कंधे पर रखा कंधे पर रखते ही वह भी फट गया। इस प्रकार फिर सब हाल जाकर कह सुनाया। और कहते-कहते उसका मुख फीका पड़ गया। तीनों घड़ों के इस प्रकार फूट जाने से सेठ जिनदत्त को अति दुःखित देख तुकारी का चित्त करुणा से आर्द्र हो गया। डाँट-डपट के बदले उसने जिनदत्त से यही कहा
प्यारे भाई ! यदि तीन घड़े फूट गये हैं तो फूट जाने दे। उसके लिए किसी बात का भय मत कर । मेरे घर में बहुत-से घड़े रखे हैं। जब तक तुम्हारा प्रयोजन सिद्ध न हो तब तक तुम एक एक कर सबों को ले जाओ। ब्राह्मणी के ऐसे स्नेह भरे वचन सुन जिनदत्त को परम संतोष हुआ। उसकी आज्ञानुसार उसने शीघ्र ही घड़ा कंधे पर रख लिया और अपने घर की ओर चल दिया।
ब्राह्मणी के ऐसे उत्तम बर्ताव से जिनदत्त के चित्त पर असाधारण असर पड़ गया था। ब्राह्मणी के स्नेहयुक्त वचनों ने उसे अपना पक्का दास बना लिया था। इसलिए ज्योंही वह अपने घर पहुँचा घड़ा रखकर वह फिर तुंकारी के घर आया और विनयपूर्वक इस प्रकार निवेदन करने लगा
प्रिय बहिन ! तू धन्य है, तेरा मन सर्वथा धर्म में दृढ़ है। तू क्षमा की भंडार है । मैंने आज तक तेरे समान कोई स्त्री-रत्न नहीं देखा। जैसी क्षमा तुझमें है संसार में किसी में नहीं। मुझसे
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