Book Title: Shrenika Charitra
Author(s): Shubhachandra Acharya, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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श्रेणिक पुराणम्
३५६
स्वप्न में हाथी के देखने का फल तो यह है कि तेरे पुत्र रत्न उत्पन्न होगा। बैल के देखने का फल यह है कि वह तीन लोक में अतिशय पराक्रमी होगा। तूने जो सिंह देखा है उसका फल यह है कि तेरा पुत्र अनन्त वीर्यशाली होगा। और दो मालाओं के देखने से धर्मतीर्थ का प्रवर्तक होगा। जो तूने लक्ष्मी को स्नान करते देखा है उसका फल यह है कि मेरू पर्वत पर तेरे पुत्र को ले जाकर देवगण क्षीरोदधि के जल से स्नान करावेंगे। चन्द्रमा के देखने से तेरा पुत्र समस्त जगत को आनन्द प्रदान करने वाला होगा। सूर्य के देखने का फल यह है कि तेरा पुत्र अद्वितीय कांति धारक होगा।
कुम्भ के देखने से अगाध द्रव्य का स्वामी होगा। मीन के देखने से तेरा पुत्र सुख का भंडार होगा और उत्तमोत्तम लक्षणों का धारक होगा। समुद्र के देखने का फल यह है कि तेरा पुत्र ज्ञान का समुद्र होगा। और जो तूने सिंहासन देखा है उससे तेरा पुत्र तीन लोक के राज्य का स्वामी होगा। देव विमानों के देखने से बलवान और पुण्यवान होगा। तूने जो नागेन्द्र का घर देखा है
सका फल यह है कि तेरा पुत्र जन्मते ही अवधि ज्ञान का धारक होगा। चित्र-विचित्र रत्न राशि देखने से तेरा पुन अनेक गुणों का धारक होगा। निर्धूम अग्नि के देखने का यह फल है कि तेरा पुत्र समस्त कर्म नाश कर सिद्धि पद प्राप्त करेगा। और तूने जो मुख में हाथी प्रवेश करते देखा है उसका फल यह है कि तेरे शीघ्र ही पत्र होगा।
राजा के मुख से ज्यों ही रानी स्वप्न फल सुन हर्षित होगी त्यों ही महान पुण्य का भंडार महाराज श्रेणिक का जीव नरक की आयु का विध्वंसकर रानी सुन्दरी के शुभ उदर में जन्म लेगा। तीर्थंकर महापद्म का आगमन अवधिज्ञान से विचार देवगण अयोध्या आवेंगे। तीर्थंकर के माता-पिता को भक्तिपूर्वक प्रणाम करेंगे। उन्हें उत्तमोत्तम वस्त्र पहनायेंगे।
भगवान का गर्भ कल्याण कर सीधे स्वर्ग चले जायेंगे और वहाँ समस्त पुण्यों के भंडार समस्त कर्मनाश करने वाले भगवान तीर्थंकर की कथा सुन आनन्द से रहेंगे। छप्पन कुमारियाँ माता की भोजनादि से भक्तिपूर्वक सेवा करेंगी। आज्ञानुसार माता का स्नपन विलेपन आदि काम करेंगी। कोई कुमारी माता के पैर धोयेगी। कोई उनके सामने उत्तमोत्तम पुष्प लाकर धरेगी। कोई माता की देह से तेल मलेगी। कोई क्षीरोदधि जल से माता को स्नान करायेगी। कोई पूवा, मांड, लड्ड, खीर, उर्द, मूंग के स्वाद दूध, दही और भी भाँति के व्यंजन माता को देगी। कोई माता के भोजनार्थ उत्तमोत्तम भोजन बनाने के लिए उत्तमोत्तम पात्र देगी। कोईकोई माता की प्रसन्नता के लिए हाव-भावपूर्वक नृत्य करेगी। कोई माता की आज्ञानुसार बर्ताव करेगी। और कोई कुमारिका अपने योग्य बर्ताव से माता के चित्त को अतिशय आनन्द देगी। कोई-कोई कुमारी कत्था-चूना, सुपारी रखकर सुन्दरी को पान देगी। कोई उसके गले में अतिशय सुगंधित माला पहनायेगी कोई-कोई माता के लिए मनोहर शय्या का निर्माण करेगी। और कोई रत्नों के दीपक जलायेगी। और कोई-कोई कुमारी माता के मस्तक पर मुकुट, कान में कुण्डल, हाथ में कंगन, गले में हार, नेत्र में काजल, मुख में पान, मस्तक पर तिलक, कमर में करधनी, नाक में मोती, कंठ में कंठी, पैरों में नपुर, पाँव की अंगुलियों में बीछिये पहिनायेगी। जब नौवां महीना पास आ जायेगा तब कुमारियाँ माता के विनोदार्थ क्रिया गुप्त कतृ गुप्त कर्म गुप्त और
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