Book Title: Shrenika Charitra
Author(s): Shubhachandra Acharya, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 384
________________ श्रेणिक पुराणम् ३७१ अपना ध्यान खीचेंगे। भगवान को भवभोगों से विरक्त जान शीघ्र ही लोकांतिक देव आयेंगे। और भगवान की बार-बार स्तुति कर उन्हें पालकी में बैठाकर ले जायेंगे। भगवान तप धारण कर और तप के प्रभाव से मनःपर्ययज्ञान प्राप्त करेंगे और पीछे केवलज्ञान प्राप्त करेंगे। भगवान को केवल ज्ञानी जान देवगण आयेंगे और समवशरण की रचना करेंगे। भगवान समवशरण में सिंहासन पर विराजमान हो भव्य जीवों को धर्मोपदेश देंगे। जहाँ-तहाँ विहार भी करेंगे और अपने उपदेशरूपी अमृत से भव्य जीवों के मन संतुष्ट कर समस्त कर्मों का नाशकर निर्वाण स्थान चले जायेंगे जिस समय भगवान मोक्ष चले जायेंगे उस समय देव निर्वाण कल्याण मनायेंगे तथा सानन्द अपनी देवांगनाओं के साथ स्वर्ग चले जायेंगे। और वहाँ आनन्द से रहेंगे॥८७-१२५॥ इति श्री श्रेणिकभवानुबद्धभविष्यत्पद्मनाभ पुराणे भट्टारक श्री शुभचंद्राचार्य पंचकल्याणकवर्णनं नाम पंचदशः पर्व॥१५॥ इतिश्री श्रेणिक चरित्रं समाप्तमिति । संस्कृत श्लोक संख्या त्र्यधिक चतुर्विंशति शतम् । इस प्रकार भगवान पदमनाभ के पूर्वभव के जीव महाराज श्रेणिक के चरित्र में भट्टारक श्री शुभचन्द्राचार्य विरचित भविष्यत्काल में होनेवाले भगवान पद्मनाभ के पंचकल्याण-वर्णन करनेवाला पंद्रहवां सर्ग समाप्त हुआ। समाप्तोऽयं ग्रन्थः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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