Book Title: Shrenika Charitra
Author(s): Shubhachandra Acharya, Dharmchand Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 366
________________ श्रेणिक पुराणम् सुन्दरी के भ्रकुटियों के मध्य में ओंकार अतिशय शोभा को धारण करेगा । विधाता उसे समस्त जगत को वश में करने के लिए निर्माण करेगा । ऐसा मालूम पड़ता है । दाँतरूपी अनुपम केशर का धारक नाशिका रूपी विष से मनोहर ओष्ठ रूपी पल्लवों से व्याप्त उसका मुख कमल अतिशय शोभा धारण करेगा । मनोहर कंबु के समान सुन्दर, तीन रेखा का धारक, मुखरूपी घर के लिए खम्भे के समान कोकिल ध्वनियुक्त उसकी ग्रीवा अतिशय शोभित होगी । मुक्ताफल से शोभित भाँति-भाँति के रत्नों से दैदीप्यमान सुन्दरी के वक्षःस्थल का हार अतिशय शोभा धारण करेगा । और वह ऐसा जान पड़ेगा मानो विधाता ने स्तन कलशों की रक्षार्थ मनोहर सर्प का ही निर्माण किया हो । सुदुर्लभ हाररूपी सर्पों से शोभित चूचुक रूपी वस्त्र से आच्छादित उसके दोनों स्तन मनोहर घड़े के समान जान पड़ेंगे। अंगुलीरूपी पत्तों से व्याप्त, बाहुरूपी दंडों का धारक, कंकणरूपी उन्नत केशर से शोभित उनके दोनों कर-कमल अतिशय शोभा धारण करेंगे । मनोहरांगी सुन्दरी का कामदेव रूपी हाथी से युक्त मनोहर बिखरे हुए केशरूपी पद्म का धारक कामीजनों की क्रीड़ा का इष्टस्थल नाभिरूपी तालाब संसार में एक ही होगा । सुन्दरी का उन्नत स्तनों के भार से अतिशय कृश कटिभाग अति शोभित होगा सो ठीक ही है । दो आदमियों के विवाद में मध्यस्थ मारे भय के कृश हो ही जाता है । सुन्दरी के दोनों जानु कदली स्तंभ के समान शोभा धारण करेंगे । कामीजनों को वश में करने के लिये वे कामदेव के दो बाण कहलाये जायेंगे और अनेक शुभ लक्षणों के धारक होंगे। मीन शंख आदि उत्तमोत्तम गुणों से उसके दोनों चरण अत्यन्त शोभित होंगे । 1 और नखरूपी रत्नों से युक्त उसकी अंगुली होगी । विधाता सुन्दरी का रूप तो अनेक उपायों से रचेगा और मुख चन्द्रमा से नेत्र कमल पत्रों से दाँत मूंगों से ओठ पके बिंबा फलों से दोनों भुजा शाखाओं से वक्षस्थल सुवर्ण तटों से दोनों स्तन सुवर्ण कलशों से एवं दोनों चरणकमल पत्रों से बनावेगा । माता सुन्दरी सरस्वती के समान शोभित होगी क्योंकि सरस्वती जैसी सालंकृति अलंकारयुक्त होती है सुन्दरी भी निर्दोष होगी । सरस्वती उत्तम रीति से दैदीप्यमान होती है उसी प्रकार सुन्दरी भी अतिशय सुड़ोल होगी । सरस्वती जैसी अनेक रसों से युक्त होती है सुन्दरी भी लावण्ययुक्त होगी। सरस्वती जैसी शुभ अर्थयुक्त होती है, सुन्दरी भी अपनी अवयवों से सुडौल होगी। माता सुन्दरी गति से हथिनी जीतेगी और नयन से मृगी, वाणी से कोकिल, रूप से रति एवं मुख से चन्द्रमा जीतेगी । भगवान के जन्म के छह मास पहले से जन्म तक पन्द्रह मास पर्यंन्त कुबेर इन्द्र की आज्ञा से तीनों काल अमोघ रत्नों की वर्षा करेगा। माता की सेवा के लिए इन्द्र की आज्ञा से छप्पन कुमारियाँ आकर माता की सेवार्थं आवेंगी और राजा महापद्म को नमस्कार कर राजमहल में प्रवेश करेंगी ।। १६-३५।। Jain Education International शुभ्र गजेंद्र वरदानसज्जलं गावं महास्कंधधरं सनादकं । पंचाननं दंति विदारणोद्धतं ३५३ देवेंद्र तिस्नपितां पयोब्धिजां ।। ३६॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386