Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 27
________________ संक्षिप्त जैन इतिहास | पार्श्वनाथजी संस्थापक नहीं हैं। इसके विदीत इस मान्यता में तो बरा भी तथ्य नहीं है कि जैनधर्म म० पार्श्वनाथ डी चला। प्रो० हर्मन जैकोबीको हठत यह स्वीकार करना पड़ा था कि म० शश्वनाथको जैन धर्मका संस्थापक मानने के लिये कोई आधार या प्रमाण नहीं है-जैनी ऋषभदेवको पहिला तीर्थकामान्त है और उनकी इस मान्यतामें कुछ तथ्य है।' प्रो० दामगुप्ता भी ऋषभदेवको ही जैनधर्मका संस्थापक प्रगट करते है और स्पष्ट लिखते हैं कि महावीर जैनधर्मके संस्थापक नहीं थे। किन्तु आजकल राजनैतिक प्रक्रिया के वश हो पढेर नेता भ० महावीरको डी जनधर्मका संस्थापक बनानेकी गलती करते हैं। और सर्वप्राचीन जैनशामनको वैदिक हिन्दुओंका प्रतिगामी दल या शास्त्रा घोषित करके सत्यका खून करते हैं; किन्तु निष्पक्ष अथवा १०] 1-" But there is nothing to prove that Parsva was the founder of Junism. Juin tradition is unanimous in making Rishabhs, the first Tirthankara as its founder )......There may be something historied in the tradition which make him the first Tirthankara. Pref. Dr Hemaun Jacobi A, IX 163) २- ए हिस्ट्री ऑव इण्डियन फिलॉसफी - अ० ६ १० १६९...... । ३- माननीय पं. जवाहरलाल नेहरूनं यद्यपि एक स्थल धर्मको वैदिक धमसे भिन्न लिखा परन्तु दुमरे स्थल पर जनों का हिन्दू ओ० भ० महावीरको जनधर्मका संस्थापक लिखनेकी गलती की है। - ( हिन्दू० पृ० ७९ व १३६ - १३८ ) r. 'Modern research has shown that Jains are not Hindu dissenters.-Justice Krishnamurti Shastri, Actg. Chief Justice of Madras High Court. ~ (I. L. R. 50 Mad. 328.)

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