________________
२२]
संक्षिप्त जैन इतिहास |
बहुतेरे राज्य प्रजातंत्र रूप में शासित हुवे और सम्राट् मेणक विकारने ईरानियों को भारत सीमा में पैर नहीं भरने दिया । उन्होंने अपने मित्र पार्बतीय नरेशकी सहायता करनेके लिये जैन युवक बीरबर जम्बूकुमार के सेनापतित्वमें सेना भेजी थी। श्रेणिकने मगध राज्यका महत्व बढ़ाया का। यह म० महावीरके अनन्य भक्त - एक कट्टर जैनी थे ।
अन्य राज्य |
नंदवंशके राम्रा भी जैनी थे और उन्होंने मी महिंसा संस्कृतिको बागे बढ़ानेका उद्योग किया था। नाखिर मौर्य सम्र टू चंद्रगुप्त द्वारा भारतका राष्ट्रीय एकीकरण हुआ था। केंन्द्रगुप्तने यूनानियोंसे मौर्चा लेकर उनको भारत से बाहर निकाल दिया था और अफगानिस्तान के प्राचीन भारतीय प्रदेशको भारत में मिला लिया था । श्रुतकेबली भद्रमाहु म्रट् चंद्रगुप्तके धर्मगुरु थे और उनके निकट ही उन्होंने जैनमुनि दीक्षा धारण की थी । सम्राट् अशोक और सम्प्रतिनं धर्मलेखोंको जगह जगह पर खुदवाकर अहिंसा धर्मका प्रचार किया था और विदेशों में धर्मप्रचारक मी मेले थे।
अब इंडोग्रीक शासक भारतमें घुड़ भाये और उनका दमत्रव (Damotorius) नामक राजा मथुणसे भी आगे मगधकी ओर बढ़ गया था, तब कलिङ्ग चक्रपर्ती जैन सटू ऐक स्वाश्वेक भागे माये और ज्यों ही उन्होंने मगण सम्रटू बृहस्पति मित्रको परास्त किया, वो ही दमत्रयके के छूट गये और वह मथुम छोड़कर भाग गया। एकवार पुनः भारतको स्वाधीनता प्राप्त हुई !
किन्तु साम्प्रदायिक विषमता के कारण भारतीय राष्ट्रीयता अधिक -