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विजयनगर साम्राज्यका इतिहा।
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उन्होंने किस प्रदेश पर शासन किया, या ज्ञात नहीं है। परन्तु विजयनगरके संस्थापकों के पिता होनेके कारण शिलालेखों में उनकी भरि मरि प्रशंसा की गई है। हिमायके सदृश गंभीर भौर पीर थे। कार्तिकेयके समान वीर, प्रकाशके मान तेजस्वी और प्रमायुक्त ये।' उनके चरणकमलोपर गजाओंके मणियुक्त मुकट झुके रहते थे। उन्होंने मुसलमानों से सफरू युद्ध किये थे, उन सब बातोंको देखते हुये संगम एक प्रतापी सामन्त प्रमाणित होते है। पादार-सोवररामन-कथे' नामक ग्रंथमें देवगिरिक राजाधिराज रामदेवके वंशज कम्प राजेन्द्रका चरित्र दिया हुआ है। इन कम्प राजेन्द्रनं कम्भिक राज्यको उन्नत बनाया था। वह कुन्तक प्रदेश पर होसदुर्गसे शासन करते थे। उनका राजदुर्ग कुम्मट बा गुम्मट नामसे प्रसिद्ध वा। यहां शेष, वैष्णव, जैन सभी सम्पदायोंके लोग सानन्द राते थे। बालुक्यकाका द्योतक एक प्राचीन जैन मंदिर का भी वहां अपनी बीर्णशीर्ण दशामें मौजूद है। इन कुम्मटनरेशकी राजकुमारी मारम्मका विवाह संगमदेवसे हुमाया। इस प्रथमें संगमको 'देव' और 'नरपा) पैसे प्रतिष्ठासूपक विरुदोंसे सूचित किया गया है। यह संगम कम्पिक नरेश रामनाषके साथ बलाक, काकतीय पौर मुसलमानोंसे माना।' ५-वि०६०, पृ. २३.
" सोमवश्या यतः इलाध्या यादवा ति विश्रुताः । तस्मिन् यत्कुले मलाध्ये सोऽभून्छोसंगमेश्वरः ॥
वेन विषानेन पाकिता: सफा : " लोर दानपत्र । (क. १४.) २-विह, पृ. २४. १-मीयो०, मा० २०, 4-१४, ८९-१.६, २.१-१११ एवं २६१-२...