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विजयनगर साकारास ५०
mmmmmmmmकम राज किया था। इसके शासनका विलो शकिडीन समझकर करों बोर शत्रुनोंने सामान दिया था, किन्तु हमजीके नया मोरील राजाको महिार्नुको पास्त किया था। फिरिस्ता सपनाको मुस्तान मसान्दोनकी सयुके पश्चात (सन १४५८) के बाद हुई साता है। कि बोडोसाके सबको यह पाजवीट गई। उसने विषयमा well सानाका म्हेन्य नहीं परिचाना-हिन्दू शासक अपने स्मार सक्तिगत मानामानमें बह गये। मोडीसास सस पोज विजयनगर के विरुद्ध बहमनीके मुस्तानसे बामिल पोर दोनों मिक कर तैलिंगाना र माक्रमण कर दिया। कपिलेहाने कर्णाटकको बीतकर काशी तक अपना अधिकार बमालिया। पब्पिराबाने भी यह गच्छा र समझा-उसने भी सन् १९६९० में विजयनगर माक्रमण किया। पायः सीमाके सभी प्रान्त साम्राज्यसे प्रथा होसतंत्र हो गये। हिन्दूराष्ट्रका प्रम खटा में पा गया। बास्तपमें संगमनरेशोंने राज्यविकारा होने म यह यान ही भूम दिया कि उनको ) विन्दराज्यको संगठि कर मुसलमानोंसे म्रािष्ट्रकोपमा काना है। विजयनगरकी शक्ति क्षीण हुई बानकर बहमनी सुबतानोने उस पापाकमों का तांप दिया। विषयनगावपानी अनुगोस स्टादी गई थी। मल्लिकार्जुन मायः १५६६० तक शासन काल हा पातु विजयनगाको खोई हुई शक्तिको वा पापस न बसा पान्तोक सब ही नायक स्त्र रूपमें दान देने गये केन्द्रीय होमगार्जुमा