Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 161
________________ १४४] सावित बैन इतिहा।। विजयनगर सम्राटोंडी छावा जैनधर्मका बम्युदय विशेष हुमाया उनमें की सम्राटोने जैन मंदिरोंको दान दिये थे, पर जिला है। बुकगय द्विने मूडविदरेके मंदिरको, देवराय दिने बहर, मंगछ। मादिके जैन मंदिरोंको और कृष्णदेवरावने चिम्पेट मिलके कोयनाव बिनायको दान दिये थे।' उनका अनुकरण केन प्रजाने किया था। परिणामतः सारे देशमें काका अद्भुतः प्रदर्शन हुमा का। (२) महविदुरे (महबद्री) बक्षिण कमा जिले का प्रमुख केन्द्र था। उसे लोग जैन काशी' कहते थे। वहां विजयनगर समायोंके समयके बने हुये अनेक जिन मंदिर हैं। उनकी बनावट हिमाल प्रदेशके देवस्थानों जैसी ढा (Sloping roofs of flat overlapping slabs ) छतदार है, जिनमें पाषाणके झरोखे और स्म होते हैं। यह इस बोरके जैन मंदिरोंकी खास बनावट है, बिसका प्रभाव हिन्दु मोंके मंदिरों और मुसलमानोंकी मस्जिदोंपर भी पड़ा है। मुसम्मानोंने तो जैन मंदिरोंको ध्वंश करके उनको मस्बिदों में परिवर्तित कर दिया तभीसे यह जैनशैली उनकी मस्जिदों में मिलती है। मंदिरों की भांति जैनोंके स्थंभ भी थे। मूविरेमें . १-अनीम एड कर्णाटक.कलना, पृ. ४५-४६. . . . . . 2-"The Jains seem to have left behind them. one of their. peculiar siyles of temple architecture; for the Hindu: temples and even the Muhammedan mosques of Malabar are all built in the style peculiar to the Jains, as it is still to be seen in the Jain bastis at Mudbidre & other places in the south kanara district. Logan, Malabar, pp. 186-188.

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