Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 167
________________ m १५.] सक्षित क्षेत्र इतिहास । जेनबर्मक पतनके कारण। दक्षिण भारत के निर्माणमें चैनो का हायस्वी १२ वी शतानि मोगरि था। देशका शासन, वाणिज्य, सामाजिक नेतृत्व मौर साहित्य एवं कला जैनोंके ही भाषीन होरहे थे। किन्तु होउसक हारेत . विष्णुवर्द्धनके वैष्णव हो जानके पश्चात् नोंकी इस श्री वृद्धिको काठ मार गया। उनकी भाचार्य पाम्पा विक्षुण्ण होगई नसके कारण उनको राज अपसे हाथ धोने पड़े। राजदरवारोंमें • बैनं बस्तु शासनं ' सूत्रको बाजाल्पामान बनानेवाले नाचार्य ना विलाई ही नहीं पड़ते थे। राजनीति संचालन और देश माग निर्माणमें भावे पूर्वपत नेतृत्व करने के लिये क्षीणशक्ति होगये थे। •गष्ट्रीय प्रगतिमें स्वस्थ्य भाग लिये बिना कोई भी संम्बा या संघ लागे नहीं बढ़कर शक्तिशाली नहीं हो सकता', इस स्तरको विजयबगर का न भूले नहीं थे, परन्तु वे मान्तरिक पत्रों एवं बार पाकमों के कारण ऐसे बरिस होगये थे कि कुछ भी नहीं कर सकते थे। विजयनगर शासनकालने मी जैनों में स्थापि वादी विद्यानन्द साहुये मोर उन्होंने जैन जयतु शासन' सूत्रको चमकत करने के लिये कुछ ब्ठा न रखा, परन्तु पाठक नानते है कि मकेका चना पाइनहीं फोड़ता। फिर भी उनके सदूपयलोस जैनधर्म कहीर और समीर गबाश्रय पानेमें सफळ हुमा भोर बनतामें उसकी मान्यता बिल नहीं हुई। ... नाक इस पतनके कारण बन्लाजमें उनका पात्र संगठित होना चावकि उनमें गिर गाव पर ." 1 :

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