Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 166
________________ तत्कालीन जैन साहित्य और कला । १४९ नमूना है। उस अंकित पशुओंकी अकृतियों बड़ी ही समीप और सुन्दर हैं | पूर्वीय बस्तीकी छत अनूठी कलामय है (८) गुडिंब दे Gndibando Kolar District) जैनों का एक समृद्धिशाली केन्द्र था। बड़का 'चंद्रनानवस्ती' नामक जिन मंदिर आज मा प्रसिद्ध है। वहाँके दो मंदिर और पद्म नामक पर्वत, अ जैनमुनि तपस्या करते थे. उल्लेखनीय हैं। चंद्रनाभ-विद्याबस्ती मंदिर विजयनगर- शासन-कालकी कृति है। इस मंदिर के नवरंग स्थंभों और मुखमंडप विजयनगर शैलीकी शिकला के नमूने हैं। स्वंगों पर गौ, सर्प मो', अर्द्धचन्द्र एवं अन्य देवी-देवतानोंकी सुंदर भाकृतियां अनि है। नवरंगकी उनमें मध्यवर्ती पद्म सुंदर बना हु है। दोस्ती में भी कामय लक्षण कार्य दर्शनीय है। मंदिर - मूर्तियोंके अतिरिक्त जैनोंने हम समयमें भी अपने बीरों को -स्मृति बीरगल और निषधि बनाकर सुरक्षित रखी थी। सेनापति decoratinल एक युद्ध बीरका स्मारक है, तो दूसरी भोर मन्दि भट्टारककी शिष्या भ. विकाका निषधिकल एक मर्मवीर महिला की स्मृतिको सुरक्षित रक्वे हुये है । ' इस प्रकार संक्षेप में विजयनगर फाळके जैन साहित्य का दिग्दर्शन कराया गया है। 1-Ibid., 1989, pp. 44–49, 2-ASM. 1941 pp. - 86-37. 2-Ibid, 1938, १० १७१. • ! :i

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