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16] ... . सात जन विकास
(३) विजयनगरकी शासन-व्यवस्था तथा उनके सामन्तों और राजकर्मचारियोंमें जैनधर्म ।
हिंदू संगठन। हरिहरने का विजयनगर राज्यको स्थापनाकी तो उन्होंने होसक 'संजाओंका भादर्श अपने मम्मुख रकबा बा-होरसल शासनप्रणालीका 'अनुकरण करके उन्होंने राजप्रबंध प्रारम्भ किया था। उसी प्रणालीके गनुरूप पश्चात्के सही विजयनगर राजामोंने अपने शासनको चलाया था । अलबत्तः वे लोग हरिहर बुक मादि महान् नरेशोंकी उस भादर्श नीतिको भुम बैठे थे, जिसके कारण प्रजावर्गमें साम्पदायिक विदूषका अन्त होकर पारम्परिक संगठन द्वाग एक महान् हिन्दू गष्ट्रको पुन: स्थानका मुम्ब स्वप्न मूर्तिमान होने जा रहा था। विजयनगरके उपान्तकालीन राजा लोग हिन्दु राष्ट्र निर्माणको बात ही भूक गये थे और वे मापसमें लाने लगे थे। विजयनगरके पतनमें वही एक कारण मुख्य था।
सम्राट् और उसका मंत्रिमंडल । वैसे विजयनगर राज्यका शासन प्राचीन भार्य प्रबाके अनुसार सम्राटके माधीन चालित हुमा था, परंतु सम्राटको पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होते हुए भी उच्छृखस्ताकी नाशकाको मिटानेके लिये उनको एक मंत्रिमंडल के साथ शासन करना अनिवार्य बा। सम्राटको वैसे पूर्ण अधिकार माथे पर ये मंत्रिमंडकी सम्मतिका संपन कदाचित