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विजयनगर साम्राज्यका इतिहास। [११ पर्यटक भारत भाया था। उसने भी विजयनगर देखा मा। विक नगरको वह पर्वतोंके निकट पसा हुमा विशाम्नगर बताता है। उसने लिखा है कि विजयनगर साठ मीलके क्षेत्रमें बसा हुमाया भोर उसकी दीपा पर्वतोंसे बातें करती थीं-बहुत ऊंची थी।' यहाँकी सड़को तक पर बहुमुल्य बड़े ल हुये थे। १४ ये उल्लेख विजयनगरकी विशाब्ता और विभूतिका बखान स्वतः करते हैं । इस नगरमें भनेक जिनमंदिर शोभायमान थे; निन से कुछ भब भी मौजूद है। यही संगमगजवंशीकी और उसके उत्तराधिकारियों की राजधानी यो। मालम होता है कि विजयनगरका निर्माण नहीं हुमा था, तक हरिहर
और नुकबल्लाकों की राजधानी द्वारा समुद्र (इलेविड) से ही शासन करते रहे थे।
हरिहर प्रथम । संगमके पांच पुत्र-१ हरिहर, २ कपण, ३ बुक, १ मारण और ५ महा नामक थे। इनमें हरिहर सर्वश्रेठ और विजयनगरके संस्थापक थे। फिरिस्तान लिखा है कि उत्तरके मुसलमानी नाक्रमणकी माशंकासे वीर बल्लाउने अपने जातिपालों की एक महती समा की।' इसी समा, हरिहर और उनके भायोंको विपर्मियों के नामों को विफल कानेका महती कार्य सौंपा गया था। विरुपाक्षपाकी किबंदी की गई और महामंडलेश्वर पदपा हरिहर निकत किये गये। विद्रगुन्ठकी प्रशस्तिसे स्पष्ट है कि हरिहरने किसी मुसम्मान मुस्तानको
R-Major Pt., II P. 6. x. असिमामा....।। २-विह.. १.१५-१६ ।