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५४) संवित बैन इवितामा बीपना दी थी। दोबार मुसम्मान पनुपारियोंने साठ हबार बिन्दू सैनिकों को धनुषाण सानेमें निष्णात पनाया बा। इस मार देवरायने विशाक और मुड़ सेना तैयार कर की और इसे मेरा सन् १९१३ई. को रायचूर द्वापर चढ़ गया। देवराने अद्ग, रायचूर भोर कापुरके प्रसिद्ध किले जीत किये गौर कृष्णा नदी तक अधिकार जमा लिया। लिक बीजापुर भोर सागरतककी पृथ्वीको रौं । विजयनगरको यह बात बहुत महंगी पड़ी-इसमें विजयनगरके कई राजकुमार काम जाये और जन धनकी भी विशेष हानि हुई। इस बीतसे चिढ़कर मुसकममानी सेनाने अधिक बोर दिखाया । हठात् देवरायको मुसलमानोंसे सन्धि करना पड़ी।'
विदेशी यात्री। देवरायके शासन काल हटलीसे निकोलो कॉन्टि (सन् १९२१) पौर शनीदूत भन्दुकाजाक (सन् १४१२) दो यात्री भारत माये
और विजयनगामें भी रहे थे। नोंने विजयनगाको कि, मन्दिरों और सुन्दर महलेसे सुसजित पाया । भारतके समस्त बरेशाने देवराव ससे अधिक शक्तिशाली थे। राजाको बारों रानिया पी। निकोको कॉन्टि तत्कालीन मासको तीन भागों में बंटा हुन art -(१) इरानसे सिन्धु नदी तक, (२) सिप स्टसे बंगाकोर (३) माशेष मास शेष भारतको नापनसम्पनि
मानौर संहतिमें सबसे बड़ा चढ़ा लिखता है। भारतीयोंकन देविकवी मार उसने यहाासियों का मनोरम्बार - ०.५०-५१
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