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विजयनगर साम्राज्यका इतिहास।
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कदम्पवंशी मी नहीं। राइस मा० ने विजयनगर राजवंशको उत्पत्ति कदमाशके राजामोंसे अनुमान की थी; यद्यपि अन्तमें उन्होंने उनको यादपंक्षी स्वीकार किया था। कदम्बकुलसे उनका सम्बन्ध ठीक बैठता ही नहीं हैं, क्योंकि हरिहरके भाई माप द्वारा कदम कुरुके नाश किये बानकी बात इस मान्यता के विरुद्ध पड़ती है। कोई भी व्यक्ति अपने हायसे अपने कुलका नाश नहीं करेगा।' मतएव विजयनगर नरेश कदम कुलके नहीं कहे जा सकते ।
बल्ल लवंशसे सम्बन्ध । सर्वश्री हरास, वेष्य और कृष्ण शात्री प्रभृति विजन विजयनगर नरेशोंको बल्लारू सम्र के सामन्त रूपमें उमा हुये मामले है किन्तु श्री गमशर्मा हमके विपरीत विजयनगर मान ज्यको कम्पिक राज्यके ध्वंशावशेषों पा खड़ा हुमा घपित करते है। इस प्रसंगमें यह बात वह भूल जाते हैं कि बहाउद्दानके भाक्रमणमें कम्भिक बिलकुल नष्ट हो गया था। इसके बाद उसका अस्तित्व ही न सा।' किन्तु होरपक राज्य सम्बन्धमें यह बात नहीं हुई। बल्लक नृप इस माक्रमणके बाद भी अपनी सत्ताको स्थिर रख सके और मदुगके मुसलमानोंस उन्होंने मोची लिया था। इस माया र मानना पड़ता कि हो गजामोंकी ही बस उस समय दक्षिण
-विद पृ. २० भोर में०, पृ. १११. २-अमीखे, मा. २. पृ. ५-१४. 1-विरेण गमतीर्थ के साथ सेगम नामक - बरा से; किन्तु इंदिर और उनके साथ नहीं थे ।