Book Title: Samyaktva Kaumudi
Author(s): Tulsiram Kavyatirth, Udaylal Kasliwal
Publisher: Hindi Jain Sahityik Prasarak Karayalay

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीवीतरागाय नमः । सम्यक्त्व -कौमुदी | दर ज गत् के प्रभु श्रीवर्धमान जिनेन्द्रको नमस्कार कर मैं सम्यक्त्वकौमुदी नामक ग्रन्थको इसलिए बनाता हूँ कि जिससे जीवोंको सम्यक्त्व गुणकी प्राप्ति हो । समस्त शास्त्रोंके सागर गौतम गणधरकी और सर्वज्ञ भगवान्के मुखारविन्दसे निकली हुई सरस्वती देवीकी मैं स्तुति करता हूँ । संपूर्ण शास्त्रोंके पारगामी गुरुओंकी शुद्ध मन-वचन-कायसे भक्ति करता हूँ, जिनके प्रसादसे हृदयकी सब जड़ता मिट जाती है । जम्बूद्वीपके भरतक्षेत्र में मगध नामका देश है । इस देशमें इन्द्रपुरी के समान राजगृह नगर है । इस नगरमें कई बड़े विशाल जिनमन्दिर थे । उनमें हर समय उत्सव हुआ करता था । यहाँके श्रावक जिनधर्मके अनुसार चारित्रका पालन करते थे और आनन्दके साथ रहते थे। राजगृहके राजा श्रेणिक थे। इनके दरबार में देश देशान्तरोंके राजा रहा करते For Private And Personal Use Only

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