Book Title: Samyaktva Kaumudi
Author(s): Tulsiram Kavyatirth, Udaylal Kasliwal
Publisher: Hindi Jain Sahityik Prasarak Karayalay

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना। सम्यक्त्व-कौमुदीमें सम्यक्त्व प्राप्त करनेवालोंकी आठ कथाएँ हैं । कथाएँ सब धार्मिक हैं, प्राचीन हैं । इसलिए उनके सम्बन्धमें विशेष लिखनेकी आवश्यकता नहीं । हाँ इतना तब भी कहेंगे कि किसी किसी कथाकी * रचना अधिक अत्युक्तिको लिए की गई है और हमारा विश्वास है कि प्राचीन कथाका रूप ऐसा न होगा । हमारा यह कथन सम्भव है कुछ भाइयोंको पसन्द न पड़े, पर उनसे हमारा अनुरोध है कि वे एक वार इस विषय पर शान्तिके साथ विचार करें । तब उन्हें हमारे कथनकी प्रमाणताका विश्वास हो सकेगा। इसका संस्कृत-साहित्य साधारण श्रेणीका है । संस्कृत-भाषामें प्रवेश करनेकी इच्छा करनेवाले इसके द्वारा थोड़ा-बहुत लाभ जरूर उठा सकते हैं। इसमें एक विशेषता है । वह यह कि 'पंचतंत्र' 'हितोपदेश' आदिकी तरह इसमें भी प्रसंग प्रसंग पर अन्य अन्य ग्रन्थोंकी नीतियाँ उद्धृत की गई हैं । और वे प्रायः उपयोगी हैं । इस योजनासे मूलमन्थकी शोभा और भी बढ़ गई है। अनुवादके सम्बन्धमें मुझे यह कहना है कि यह मेरा पहला ही प्रयत्न है। इसलिए त्रुटियाँ रह जाना आश्चर्य नहीं । मुझसे जहाँतक हुआ मैंने इसे सरल बनानेकी कोशिश की है । मैं अपने इस कार्यमें मेरे मित्र श्रीयुत पं० उदयलालजी काशलीवालका उपकार माने बिना नहीं रह सकता कि * इसके लिए 'पद्मलताकी कथा' को पढ़िए । For Private And Personal Use Only

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