Book Title: Sadhu Pratikramanadi Sutrani
Author(s): Jagjivan Jivraj Kothari, 
Publisher: Jagjivan Jivraj Kothari

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ साधु० ॥ २ ॥ *%% ॥ ५ ॥ श्री श्रमणसूत्र ॥ णमो अरिहंताणं, करेमि भन्ते सामाइयं०, चत्तारि मंगलं- अरिहंता मंगलं, सिद्धामंगलं, साहुमंगलं, केवलिपण्णत्तो धम्मोमंगलं । चत्तारि लोगुत्तमा - अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धालोगुत्तमा, साहुलोगुत्तमा, केवलिपण्णत्तो धम्मोलोगुत्तमा । चत्तारिसरणं पवज्जामि - अरिहंते सरणं पवज्जामि, सिसरणं पवज्जामि, साहुसरणं पवज्जामि, केवलिपण्णत्तं धम्मं सरणं पवज्जामि || इच्छामि पडिक्कमिडं जो मे देवसिओ०, इच्छामि पडिक्कमिउं इरिआवहिआए०, इच्छामि पडिक्कमिउं पगामसिज्जाए, निगामसिज्जाए, संथाराउब्वट्टणाए, परिअट्टणाए, आउट्टणपसारणयाए, छप्पइया संघट्टणाए, कुइए कक्कराइए, छीए, जंभाइए, आमोसे, ससरक्खामोसे, आउलमाउलाए, सोअणवत्तिआए, इत्थीविप्परिआसिआए, दिट्ठीविपरिआ - सिआए, मणविष्परिआसिआए, पाणभोअणविप्परिआसिए, जो मे देवसिओ अइआरो कओ तस्स मि च्छामि दुक्कडं ॥ पडिक्कमामि गोअरचरिआए, भिक्खायरिआए उग्वाडकवाडउग्धाडणाए साणावच्छादारा संघट्टणाए, मंडीपाहुडिआए, बलिपाहुडिआए, ठवणापाहुडिआए, संकिए सहस्सागारे, अऐ Jain Education International For Personal & Private Use Only x69 かぷぷぷ | प्रतिक्र० सूत्र. ।। २ ।। www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 92