Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम
भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [१], अध्ययन [९], उद्देशक [१], नियुक्ति: [२७५-२८४], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक २२६/गाथा: १-२३]
(०१)
प्रत
श्रीआचा
कंधंसि पाहूहि परकमितवान् , ण कंधे अवलंचितवां, चरियाहिगारे पडिसमाणे णस्थि, इमं भवति-एस विही अणिक्ख-10 आवेशरांग सूत्र-16(णुक)तो (६४) माहणेण मतीमता एस इति जो भणितो आ पचाओ, विहाणं विही, अणु पच्छाभावे, जहाअण्णेहिं तित्थ- नादिशय्या
Mगरेहिं कतो तहा तेणावि अणुण्णावो अणुकतो, माहणेण-मा हण इति माहणं, जं भणितं-सवसावजजोगपडिसेहो सवयणिज-11 ॥३११॥ मेतं, समणेत्ति वा, मती जस्स अस्थि स भवति मतिमा तेण मतिमता, अपव्वतितेणावि सता बंधवजयोण सण्णिरुद्धेण जाव छउ८अध्यक मत्थकालो बारसबरसितो अपडिपणे रिपती (वीरेण कासवेण महेसिणा) सरीरसकार प्रति अपडिण्णेण, अदवा 'णो इहलोग
याए तब्बमहिहिस्सामि' इति अपडिष्णो, वीरो भणितो, कामगोषण कासवेण महरिसिणा इति, पटिअइ य-बहुसो अपडिपणेण भगवता रीतियंति बेमि बहुसो इति अणेगसो, अपडिण्णो भणितो, भगवता रीयमाणेण रीयत्ताए वा, वेमि जहा | | मए सुतं । उपधानश्रुतस्य प्रथम उद्देशकः समासः।
चरियाणतरं सेजा, तस्विभावगो अ दस्सते-चरितासणाई सिजाओ एगतियाओ जाड बुतिताओ। आइक्ख | ताति सपणासणाई जाई जाई सेवित्य महावीरो (६५) एसा पुच्छा, आएसणसभापवासु पणियसालासु | एगता वासो, णवि भगवतो आहारवत् सेजामिग्गहा णियमा आसी, पडिमाभिग्गहकाले तु सिामिग्गहो आसी, जहा एग| राईयाए बहिया गामादीणं ठिओ आसी, सुसाणे अन्नयरे वा ठाणे, अहाभावकमेण जत्धेव तत्थ चउत्थी पोरिसी ओगाढा भवति | तत्थेव अणुनवित्ता ठितवान् , तंजहा-आपसणसभापवासु, आगंतुं विसंति जहियं आवेसणं, जं भणियं-गिहं लोगप्पसिद्धं, जहा | | कुंभारावेसणं लोहारावेसर्ग एवमादि, सभा नाम नगरादीणं मज्झे देसे कीरति, गामे पउरसमागमा य भवंति, सेणिमादीणं तु पलेयं
SUPER
वृत्यंक
[२२६गाथा
१-२३]
दीप
अनुक्रम [२६५
21
पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: नवम-अध्ययने द्वितीय-उद्देशक: 'शय्या' आरब्धः,
[323]
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