Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम
भाग-1 "आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [२], चूडा [१], अध्ययन [३], उद्देशक [१], नियुक्ति: [३०५-३१२], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १११-११९]
(०१)
श्रीआचारांग सूत्र
चूर्णिः ॥३५४॥
प्रत वृत्यक
देहि, वितिया पडिमा, ततिया अधासमण्णागता णाम जति वाहि वसति बाहिं व दुकडाणि, णो अंतो. साहीओ ण वेसणीओ
शय्याध्य आणेयवा, अहणं अंतो अंतो चेव इकडाणि घेव, णस्थि तो उक्कुडगो णेसिज्जिओ विहरिजा तथा पडिमा, अहावरा चउत्था अहासंगडा तत्वत्था अहासंगडा पुढविसिलाओ पट्टओ पाहाणसिला वा कट्ठसिला वा, सिलाइग्गहणा गुरुया अहासंधडग्गहणा भूमीए एलगग्गं चेब, अलाभे उक्कुडुगणेसिञ्जतो चउत्था पडिमा, मिच्छा, पडिमापडिवण्णा दीहत अप्पिण०, जय णाम सअंडं ण |N पञ्चप्पिणंति, अप्पंडं पडिलेह पमजतोविय विणुधुणिय चलिय पचप्पि० लेहिता व राओ वा वियाले वा पचडणमादी दोसा, सेजा| संथारभुमीए गिझंतीए इमे आचरियगाई एकारस मुतित्तु सेसाणं जहाराइणिया, गणी अण्णगणाओ आयरिओ, गणधरो अजाणं | चावारवाहतो, सब्वेसिं एतेसि विसेसो कप्पो, वातादीण म हाणं तत्थेव, समविसमपवायाण य तत्रैव, अंतो मज्झे वा, बहुफामुगादी सेजा संथारगा आलावगसिद्धा, णवर आसादेति संघट्टेति आसतं-मुहं पोसियं-अधिद्वाणं, पवायणिवायमादिसु पसत्थासु सइंगाला, अप्पसत्थासु सधूमा, पडिग्गहियतरं विहारं विहरेजा णो किंचि गिलाएजा पलादि णाम मात करेति, कहं ?विसमदंसमसगादिसु बाहिं अच्छति अण्णत्थ वा इति ।। शय्याऽध्ययनं परिसमाप्त ॥
संबंधो सेजाओ भुजितु सण्णाभूमि गच्छंतस्स रिया अहासेजं च मिक्खं च मग्गंतस्स रिया सोहेयन्वा, ताए विही भाणियव्या, ठाणाओ अणंतरं वा रिया, तस्स उद्देसगाहिगारो सवेऽविरियाविसोधिकारगा (२१३) नहेति इमो विसेसो-पढमे | | पवेसो णिग्गमो य सरते अद्धाणजयणा णावजयणा वा वितियए णावारूढे छलणं णाम जंघाहिं संतारिमे व पुग्छियन सपचवा| यणिपथपाये, ततिए दाणं नावियादीणं अप्पडिबद्धो य उवधिमि बचे, ण य रायसंपसारियं गाहावइसंपसारियं वा, वयष्या,
|३५४॥
११९]
दीप अनुक्रम
[४४५
४५३]
पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: प्रथम चूलिकाया: तृतीय-अध्ययनं "ईर्या", प्रथम-उद्देशक: आरब्ध:
[366]
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