Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 372
________________ आगम भाग-1 “आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध [२], चूडा [१], अध्ययन [४], उद्देशक [१,२], नियुक्ति: [३१३-३१४], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक १३२-१४०] (०१) | प्रत वृत्यक [१३२ श्रीआचा उका रिता समिति, इदाणि भासासमिति, आहारसेज्ज पंथपुच्छा (पादपुच्छणा) य, सम्वेवि वपणविभत्तिकारगाई तहावि भाषाध्ययन गम सूत्र- विसेसो अस्थि, पढमे सोलसप्पगारा वयणत्रिभनी अप्पीतिवज्जणा वितिए काणकुंटणादी, णामणिफण्णे भासा चउब्विहा जहा चूर्णि: YA | वक्के तहा दब्बतो उप्पत्तीए पज्जवं अंतर, गहणे, उप्पत्ती वा भासाणं किमादीयं पञ्जवं, जतो जाई मूलभासादब्वेहिं परिणामिताई || |विस्सेषिं गच्छंति, अंतरं जतो जाति अणुसेढीए मीसाई गच्छंति, गहो जारिसाई गिव्हंति दचओ अणंतपएसियाई, भासा किमा| त्मीया? पोग्गलात्मिका, यथा घडं मृत्तिकात्मकं न सिकतापापाणैनिष्पद्यते एवं भासापयोग्गेहिं दम्बेहिं णिप्फज्जइ, खिने जंमि D. द्वितो गिण्हति जहा छर्दिसि जत्तियं वा खेतं गच्छति जहा परे सजोणि, जैमि वा खिने वणिज्जति भासा, कालो जमि जमि जेचिरं काला भासा भवति जाव ताव कालेणं जचिरं वा, से दो भवति काले-भावे उप्पांच पज्जवअंतरे जाता तं भावं भावेंता |णिणादं करेंताणि, तिमवि कालेसु चयि, आयाराई भणियाई जाई वा भन्नमाणाई, जाणेज भासेज, जे कोहातो वार्य युंजंति, क्रोधान विविहमनेक प्रकार जुंजंति सज्झसवत्थो वा जं जुंजंति, जहा कोहा न मम पुत्रः पिता वा अन्य माता वा इत्यर्थः, माणा अहं उत्त|मजाती उच्चहीनजातीयः, अदुर्हि वा मयठाणोवरीतने विजुंजणा, माया गिलाणोऽहं, लोभा जहा बाणिज करेमाणे जणो अचोरं चोर भणति अदासी दासी, अजाणतो भणति, सबमेयं सावजं बजए, विविच्यते येन स विवेकः, विवेकमादाय, विवेगो संजमो | चरितं वा कम्मविवेगं सत्यवचनं आयविवेगं कातुं अनृतस्य, लभिहिति, केणति भणितो-भिक्षु ! हिंडामो, भणति-सो तत्थ लभति, ण वदति एवं भणितुं, अंतराइयं उदिज्जा, ताई असणिहिताई होज्जा, अहया भणति-सो तत्थ णो लभिहिति, एवं हिणवदृति, कयाइ लभेज्ज, मिक्खायरियाते गतओ भणति-सोतस्थ भुंजिउं एहिति, अहवा अभुत्तोएहिति, छउमत्थविसओ य वदति उसओ, ॥३६॥ १४०] दीप अनुक्रम [४६६४७४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: प्रथम चूलिकाया: चतुर्थ-अध्ययनं “भाषाजात', आरब्धं [372]

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