Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 01 Aachaar Churni Aagam 1
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 352
________________ आगम भाग-1 “आचार" - अंगसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) श्रुतस्कंध २], चूडा [१], अध्ययन [१], उद्देशक [७], नियुक्ति: २९७...], [वृत्ति-अनुसार सूत्रांक ३७-४२] (०१) प्रत वृत्यक [३७-४२] रपिंडेपणा श्रीआचा-1 तिला भुजितगा पाणीते छुभन्ति, तुसोदए तुसिता भुजियगा छुभंति, जवोदए जवा ज्जियगा छुभंति, आयाम अवस्सावणं, रांग सूत्र | सोवीरगं अंविलं, केह भणंति-कोसलाए परिसित्तियं, सुद्धवियर्ड संसट्टपाणगं, निज्जा वा अहिगारो, अहुणा धोताईणी णो पढि-11 चूर्णिः गाहिज्जा, इमं पुण मुत्तं चिरघोतादिसु-से पुवामेव आलोए, पडिग्गहो एवं मत्ओवि गिहिमायणेण वा वक्खेवे चकिया फुडा ॥३४०॥ चेव पडिगाहेज्जा । से भिक्खू वा भिक्खुणी वा पाणगं अगंतरहितादिसु, उद्बटुत्ति उद्धृत्य, णिक्खितं ठवितं, उद उल्छेण । वा ससिणिद्वेण वा सकसाएण वल्मा(ल्ला दिणा कसाएणं, सो य सवेयणो य होज्जा, मत्तेण भायणेण, सीतोदएण संभोएत्ता भासेचा |णो पटिगाहेज्जा, एवं खलु तस्स भिक्खुस्स वा० सामग्गियं । सत्तमा पिंडेसणा॥ ____संबंधो इह पाणगं, अंबगाई धोति अंबसालस्स वां संसट्ठपाणगं खोल्लविसए अंबगाणि फालेचा मुक्कविज्जति तेसिं धोवणं अंगपाणगं, एवं अंबाडगकविटुमाउलिंगमुढ़ियादालिमखज्जूरनालिएरकरीरकोलामलगचिंचादीणं सब्वेसिं धोवर्ण, रसमीसं बा| | अट्ठियं अडिल्लओ, सह अट्ठिएणं सअट्ठियं, सह कशुएण य सकणुयं, कणुपं अट्ठिएगदेसए वा अतुस्सो कच्छो वा, बीतेण सह | | साणुवीयक, छब्बकं सं बन्ध, चाल सउणीपरए वा, रएण बा, आवीलेति एकसि, परिपीलेति बहसो. परिसएति गालेति ण पडि10 आगंतारो मग्गो, मग्गे गिह, अहवा यत्र आगत्य आगत्यागारा तिष्ठति तं आगंतागारं, आरामे आगारं, गृहपतिकुलं वा, परिया-1 NI यगादीणं आषातो परियावतो, अन्नगंधाणि कलयसालिमादीणं, पाणगंधो कप्पूरपाडलावासितादि सुरभिगंधो चंदणागुरुकुंकुमादीणं |N आसायपडिसा भाणमुई, जो तस्थ सिद्धा, सालुगं उप्पलकंदगो, विगलिया गोल्छविसए बल्ली, पलासतो सासवसिद्धत्थपालिता, आमयं अरद्धं, असत्थपरिणतं सचिन, पिप्पली पिपलिमूलं, मिरियं मि २, सिंगवेरं मुंटी अल्लगं वा, चुण्णे एतेसिं चेत्र, दीप अनुक्रम [३७१३७६] ॥३४० पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता......आगमसूत्र-[१], अंग सूत्र-[०१] "आचार' जिनदासगणि विहिता चूर्णि: प्रथम चूलिकाया: प्रथम-अध्ययनं "पिण्डैषणा", अष्टम-उद्देशक: आरब्ध: [352]

Loading...

Page Navigation
1 ... 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399