Book Title: Rajkumar Shrenik
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बुद्धि का बादशाह ___ बड़ी निर्भयता के साथ चलता हुआ श्रेणिककुमार, सबेरे-सबेरे एक पर्वत की तलहटी में जा पहुँचा | जगह बड़ी सुहावनी और रम्य थी। धीरे-धीरे वह पहाड़ पर चढ़ने लगा। उसने वहाँ पर एक गुफा देखी । गुफा के भीतर जाकर देखा तो गुफा खाली थी। वहाँ न तो कोई आदमी था... न किसी पशु-पक्षी के रहने के आसार नजर आ रहे थे! उसने उसी गुफा में आराम करने का तय किया। उस पर्वत का नाम था वज्रकर | पर्वत काफी ऊँचा था। पेड़ों के झुरमुट व हरियाली से भरापूरा था। श्रेणिक गुफा में जाकर लेटा... और गहरी नींद में सो गया! उस पर्वत का मालिक एक देव था! गुफा के भीतर उस देव की मूर्ति थी। देवों को विशिष्ट ज्ञान रहता है... उस देव ने अपने ज्ञान से सोये हुए श्रेणिक को देखा। श्रेणिक के भूतकाल-भविष्यकाल को देखा। देव के दिल में कुमार के लिए प्यार उभरने लगा। पुण्यशाली आदमी पर देवों की कृपा उतरती है। देव ने श्रेणिक को एक स्वप्न दिया : 'कुमार, यहाँ से ६ मील की दूरी पर दक्षिण दिशा में एक नदी है। उस नदी के किनारे पर पीपल के दो पेड़ों का जोड़ा है। जैसे कि दोनों हाथ मिलाकर गले मिल रहे हों... वैसे दो पेड़ खड़े हैं | उस पेड़ की एक डाली पर एक पत्थर है... उस पत्थर के अनेक गुण हैं! उस पत्थर में महाप्रभावशाली १८ रत्न हैं। उन रत्नों का प्रभाव मैं तुझे बताता हूँ। तू ठीक से याद रखना। १. पहले रत्न के प्रभाव से सभी तरह के आदमी वश में होते हैं। २. दूसरे रत्न के प्रभाव से सभी तरह के जहर उतर जाते हैं। ३. तीसरे रत्न के प्रभाव से किसी भी तरह का उपद्रव नहीं होता है। ४. चौथे रत्न के प्रभाव से राजा, मंत्री और श्रेष्ठिजनों की ओर से मानसम्मान मिलता है। ५. पाँचवें रत्न के प्रभाव से पुत्र की प्राप्ति होती है। पुत्र जन्म के पश्चात् समृद्धि बढ़ती है। ६. छठे रत्न के प्रभाव से दिव्य सुख मिलते हैं। ७. सातवें रत्न के प्रभाव से पानी की बाढ़ में तैरा जा सकता है। For Private And Personal Use Only

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