Book Title: Rajkumar Shrenik
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 83
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७५ अभयकुमार ने बदला लिया! 'हमारे साथ खुद मगध साम्राज्य के महामात्य हों, फिर डर किस बात का?' 'हम कल सबेरे तड़के ही यहाँ से प्रस्थान करेंगे। तुम तैयार रहना। मैं तुम्हें तुम्हारे घर से अपने साथ रथ में ले लूँगा।' ___ उज्जयिनी के राजमार्ग पर स्थित श्वेत हवेली अभयकुमार ने किराये पर ले ली। अभयकुमार ने अपना नाम धैर्यकुमार रखा था। दोनों बहनों के नाम सोना-रूपा रखे थे। अभयकुमार ने एक ऐसा आदमी खोज लिया... जो कि पागल आदमी का अभिनय सुंदर ढंग से कर सके। उसे एक हजार सोना-मुहरें देकर अपने पास रख लिया। उसका नाम रखा प्रद्योतकुमार | प्रद्योतकुमार रोजाना चिल्ला-चिल्लाकर हवेली को सर पर उठा लेता है! रास्ते पर खड़ा होकर पागल सा हँसता है... चीखता है... अपने कपड़े चीर देता है.. सीना तानकर 'मैं राजा प्रद्योत हूँ।' इस तरह शोर मचाता है। रास्ते पर घूमता है... लोग देख-सुनकर हँसते हैं... 'ओह... यह तो उस श्वेत हवेलीवाले परदेशी धैर्यकुमार सेठ का भाई है... बेचारा पागल हो गया है...!!' रोजाना धैर्यकुमार (अभयकुमार) उसे बाँधकर-पकड़कर वैद्य के घर दवाई के लिए ले जाता है...। रास्ते भर प्रद्योत चिल्लाता है... 'मैं राजा प्रद्योत हूँ... मुझे पकड़कर यह ले जा रहा है...। मुझे छुड़वाओ, ओ लोगों... मुझे बचाओ!' __लोग रोजाना यह नजारा देखते हैं... और सुनते हैं, कोई नहीं आता प्रद्योत को छुड़ाने के लिए। सभी को भरोसा हो गया था कि 'यह बेचारा धैर्यकुमार का पागल भाई है, धैर्यकुमार अपने भाई की कितनी सेवा करते हैं! __ इधर हमेशा की भाँति सोना और रूपा शाम के समय सज-सँवर कर हवेली के झरोखे में बैठी-बैठी गप-शप कर रही थी। राजमार्ग पर हो रही चहल-पहल देख रही थी! इतने में राजा चंडप्रद्योत रथ में बैठकर उस रास्ते से गुजरा। राजा की निगाहें श्वेत हवेली के झरोखे पर गिरी। सोना-रूपा को उसने देखा | सोना-रूपा ने भी नजरों से इशारों के तीर चलाते हुए राजा को देखा| चंडप्रद्योत वैसे भी सुंदरता के पीछे पागल था। उसमें सोना-रूपा की छैल छबीली अदाओं ने राजा को बेताब बना डाला...। वह आसक्त हो गया दोनों बहनों की खूबसूरती में! दूसरे ही दिन राजा ने अपनी विश्वस्त और चतुर परिचारिका को सारी बात समझाकर सोना-रूपा के पास भेजा। For Private And Personal Use Only

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