Book Title: Rajkumar Shrenik
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 81
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७३ अभयकुमार का अपहरण उज्जयिनी नगरी में 'महामारी' का रोग फैल गया। लोग मक्खी की भाँति मरने लगे। राजा को चिंता होने लगी। नगर के जाने-माने वैद्य-हकीम और मांत्रिकों ने भी हाथ झटक दिये। यह उनके बस का रोग नहीं था। ___ 'क्या करना?' राजा को कुछ सूझ नहीं रहा है... इतने में राजा को अभयकुमार याद आया। राजा खुद अभयकुमार के पास गया। 'कुमार, नगर में 'महामारी' नामक जानलेवा रोग ने आंतक मचा रखा है। पेड़ से गिरते पत्तों की तरह लोग मौत के शिकार हो रहे हैं। इस रोग से बचने का, इसे दूर करने का कोई उपाय तुझे सूझ रहा है?' __'राजेश्वर! आपकी सभी रानियों में, ऐसी कौन रानी है कि जो आँख के एक ही कटाक्ष में आपको जीत सकती है? 'शिवादेवी!' 'महारानी शिवादेवी से कहिए कि अक्षत की बलि चढ़ाकर भूत की पूजा करें! राजा ने तुरंत शिवादेवी को बुलाकर अभयकुमार के बतलाए ढंग से भूत की पूजा करने के लिए कहा। शिवादेवी ने उसी ढंग से भूत-पूजा की। 'महामारी' का रोग कुछ ही दिनों में दूर हो गया। नगर में शांति हो गयी। ____ चंडप्रद्योत ने अभयकुमार का बहुत आभार माना। उसे बंधन में से मुक्त करके अपने गले से लगाया । आदर-सत्कार किया और राजगृही जाने के लिए उसे भावभरी बिदाई दी। For Private And Personal Use Only

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