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मिलना पिता से पुत्र का!
५६ राजा ने पूछा : 'उस सेठ की बेटी सुनंदा को जानता है।'
अभय ने कहा : 'हाँ, जानता हूँ! उसने एक पुत्र को जन्म दिया है और उस पुत्र का नाम है अभयकुमार!'
राजा ने पूछा : 'वह अभी कितने साल का होगा?' अभय ने कहा : 'यह समझ लो कि मेरे जितनी ही उसकी उम्र होगी... और फिर हमारा रूप-रंग और चेहरा भी काफी मिलता-जुलता है... एक सा
राजा ने पूछा : 'अभय के साथ तेरी पहचान कैसे हुई?'
अभय ने कहा : 'अरे, हम दोनों तो जिगरी दोस्त हैं! एक-दूसरे के बिना एकाध पल भी नहीं रह सकते!'
राजा ने पूछा : तब फिर तू उसे छोड़कर यहाँ क्यों आया?' अभय ने कहा : 'मैं उसे साथ लेकर ही यहाँ आया हूँ!' राजा ने पूछा : 'कहाँ है वह?'
अभय ने कहा : 'वह और उसकी माँ सुनंदा नगर के बाहरी उपवन में रुके हुए हैं!
राजा ने पूछा : 'क्या कहता है? सुनंदा- उसकी माँ भी साथ आई है और बगीचे में?'
अभय ने कहा : 'जी हाँ, महाराजा!'
राजा ने कहा : 'चल, तू मुझे वहाँ पर ले चल । बगीचे में जाकर तेरे दोस्त और उसकी माँ से मैं मिलना चाहता हूँ।' अभय ने कहा : 'चलिये मेरे साथ!'
आगे-आगे अभयकुमार... और पीछे राजा | बगीचे की ओर चले! लोग तो अभयकुमार की चतुराई और चालाकी पर आफरीन हो उठे! ___ 'वाह, क्या लड़का है! राजा जैसे राजा को चलते हुए ले गया अपने साथ! अब तो आधे राज्य का मालिक होगा! और फिर ऊपर से महामंत्री का रुतबा मिलेगा! राजसभा में जब यह छोटी उम्र का महामंत्री बैठेगा तब कैसा लगेगा? जितना खूबसूरत है... उतना ही किस्मतवाला और अक्लमंद है! बुद्धि का तो मानों बादशाह ही देख लो!'
राजा और कुमार दोनों बगीचे में पहुँचे। राजा ने वहाँ सुनंदा को देखा।
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