Book Title: Rajkumar Shrenik
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बिकना चंदन वृक्ष का एक ओर उछलती-कूदती नदी बह रही है... तो दूसरी ओर ऊँचे-ऊँचे पर्वतों की श्रेणियाँ सिमटी सी खड़ी हैं। बीच में कुमार चला जा रहा है...। कभी गुनगुनाता है... कभी मुस्कराता है...। कभी खामोशी की चादर में लिपट जाता है! एक बार सबेरे-सबेरे वह चल रहा था कि अनायास उसकी निगाहें एक पहाड़ी के शिखर पर जा गिरी! वह देखता ही रह गया! शिखर पर एक युवती-भील कन्या खड़ी थी। उसने शरीर पर मयूरपंख का शृंगार रचाया था। उसके पैरों में घुघरूवाली पैजनियाँ छनक रही थी। उसने भी कुमार को देखा... वह वेग से नीचे उतरने लगी। पैजनियों की खनखनाहट से पूरा जंगल मुखरित हो उठा। वह सुंदर रूपसी भीलकन्या कुमार के समक्ष आकर खड़ी हो गई। दोनों एक दूजे को जी भरकर निहारने लगे। श्रेणिककुमार का लुभावना रूप देखकर भीलकन्या खुश-खुश हो उठी। वह आँखें नचाती हुई बोली : ___'कुमार, आज तुम्हारे जैसे खुबसूरत और सलोने युवक को पाकर मैं धन्य हो उठी हूँ। इस प्रदेश का आधिपत्य मेरे पिता के हाथों में है। मैं उनकी इकलौती बेटी हूँ। तुम्हें देखते ही मेरा मन तुम पर मोहित हो उठा है। मैं तुम्हारे साथ शादी करना चाहूँगी। अरे... मन से तो मैं तुम्हारे साथ शादी कर ही चुकी हूँ। इसलिए कुमार, तुम मेरे साथ प्यार की बातें करो... चलो, मेरे साथ चलो!' कुमार मौन रहा। उसने भीलकन्या के सामने देखा सही... पर स्मित तक नहीं किया। चुपचाप वह भीलकन्या की बहकी-बहकी बातें सुनता रहा। भीलकन्या कुमार की चुप्पी से अकुला उठी। उसकी आवाज में नाराजगी रिसने लगी। __ 'कुमार, यदि तुम मेरे साथ शादी करोगे तो मेरे पिता तुम्हें इस इलाके का राजा बना देंगे। और यदि मेरी बात से इन्कार किया तो बुरी मौत तुम्हें मरना होगा। याद रखना... मैं तरह-तरह के मंत्र-तंत्र जानती हूँ | ढेर सारी औषधियों का मुझे ज्ञान है! मेरे पास एक ऐसी औषधि है कि मै चाहूँ तो आदमी को जानवर बना दूं और जानवर को आदमी का रूप दे दूँ! एक दवाई खिलाकर आदमी को बंदर बना दूं तो वह उछलता... कूदता हुआ मेरे पीछे ही चलता रहेगा। तीसरी दवाई से मैं बंदर को मनुष्य भी बना सकती हूँ| For Private And Personal Use Only

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