Book Title: Rajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
Publisher: Panchshil Prakashan
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(5)
अंगम चेती
१. ईश्वर । २. वृक्ष । ३. पर्वत । ४. भविष्य । ५. दूरदर्शिता । अगम चेती - (वि०) दूरदर्शी । श्रागम सोचु । आगम सोची ।
अगम निगम - ( न० ) १. आगम निगम । वेद और शास्त्र । २. वेद । ३. वेद भी जिसे नहीं जानता वह । ४. ब्रह्मज्ञान । ५. ब्रह्मज्ञान की चर्चा । ६. योग विद्या । योग शास्त्र । ७. भूत और भविष्य । अगमबुद्धि - ( ना० ) आगम बुद्धि । दूर
दर्शिता । (वि०) दूरदर्शी । अगमभाखी - (वि०) १. भविष्य वक्ता । २. योग सिद्धि द्वारा भविष्य कथन करने वाला ।
अगमवाणी - ( ना० ) श्रागम वाणी । गूढ़ गिरा । २. रहस्य वारणी । अगम्या - ( ना० ) वह स्त्री जिसके साथ संभोग करना निषिद्ध है, जैसे- माता, कन्या, गुरुपत्नी इत्यादि ।
अगर - ( न० ) १. सुगंध वाला एक वृक्ष ।
२. एक प्रौषधि । ( क्रि० वि०) १. यदि । जो । २. आगे । अगरबत्ती - ( ना० ) अगर आदि सुगंधिदार वस्तु की बनाई हुई बत्ती जो सुगंध के लिए जलाई जाती है । धूपबत्ती । अगरवाळ - ( न० ) एक वैश्य जाति ।
अग्रवाल ।
अगरवाळण - ( ना० ) अग्रवाल जाति की स्त्री ।
पर सोया हुआ ।
अगरेल - ( न० ) १. अगर का तेल । २. अगर वृक्ष ।
अगल-बगल - ( क्रि० वि० ) १. आस-पास ।
गंजी - (वि०) १. जिसका नाश नहीं किया जा सके । २. जिस पर विजय नहीं पाई जा सके । अजेय । ( न० ) गढ़ किला । अगंड - ( न० ) कबंध । रुण्ड । अगा - ( क्रि० वि०) १. पहले । पूर्व । २. सामने | सम्मुख ।
अगाउ - (वि०) १. पहले का । पूर्व समय २. श्रागे वाला । ( क्रि० वि० ) १. पहले । पेश्तर । २. श्रागे ।
का ।
अगाउ थी - ( अव्य० ) पहले से । श्रागे से 1. अगाउ लग - ( अव्य० ) आगे तक । अगाऊ - दे० अगाउ ।
अगरवाळी - दे० अगरवाळण । अगरांटो - (वि०) बिना बिछौने की खाट अगाड़ी - ( क्रि०वि०) १. आगे । सामने |
1
२. पहले । ३. भविष्य में । ( ना० ) १. घोड़े के अगले पैर का बन्धन । २. प्रथम श्राक्रमरण ।
अगाड़ी - पछाड़ी - ( ना० ब० व०) घोड़े के आगे और पीछे के पाँवों में बाँधने की दो रस्सियाँ । (श्रव्य ० ) श्रागे और पीछे ।
२. इधर-उधर ।
अगलूगो - ( वि० ) १. अगला । पहले का ।
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गाड़ी - पछाड़ी
२. व्यतीत काल का । ३. आगे का । आने वाले समय का । ४. सामने का । अगलो ( वि०) १. पहले का । भूत काल का । २. अगला । श्रागलो । भविष्य काल का । ३. सामने का। आगे का । अगवाई - ( ना० ) अतिथि का सामने जाकर किया जाने वालास्वागत | अगवाणी - ( वि० ) १. मुख्य । प्रधान ।
२. आगे रहनेवाला । आगे चलनेवाला । ( ना० ) अतिथि का सामने जाकर किया जाने वाला स्वागत ।
अगस्त - ( न० ) १. ईसवी सन का आठवां
महीना | ऑगस्ट | २. एक ऋषि का नाम । अगस्त्य ऋषि । ३. एक तारा । अगहन - ( न० ) मार्गशीर्ष मास । अगंज- ( - ( वि०) १. जिसका नाश नहीं किया जा सके । २. जिस पर विजय नहीं पाई जा सके ।
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