Book Title: Prakaran Ratna Sangraha
Author(s): Kunvarji Anandji
Publisher: Kunvarji Anandji
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શ્રી પંચનિર્ચથી પ્રકરણ.
२०८ सेविबउसा पवजंतगा य इक्काइ जा सयपुङसं । पडिवनगा जहन्नग, इयरे कोडीसयपुहुत्तं ॥ १०० ॥
मथ:--( सेविबउसा पवजंतगा य ) अतिसेवाशीमपणाने तथा ॥४॥ पाने पामता (इकाइ जा सयपुहुत्तं) सहिथी भांराने यावत् शतपृथत्व डोय, अने (पडिवनगा) ते पणाने पाभेद। ( जहन्नग इयरे ) “धन्यथी मने Gटया ( कोडीसयपुहुत्तं ) टि शतYथरव ७/य. १००.
सकसाया इक्काई, सहसपुहुत्तं सिया पवजंता। .. कोडीसहसपुहुत्तं, उक्कोस जहन्नग पवन्ना ॥ १०१ ॥
मथ:--(सकसाया) ४ायशील (पवजंता ) प्रतिपयमान-पामना। ( इकाई सहसपुहुत्तं सिया) मेथी भासने सखपृथत्व डोय तथा ( पवन्ना) पूर्व प्रतिपन्न ( उक्कोस जहन्नग) कृष्टथी मने गधन्यथा ( कोडीसहसपुहुत्तं) કોટિ સહસ્ત્રપૃથકૃત્વ હોય. ૧૦૧.
पडिवजंत नियंठा, इकाई जा सयं तु बासटुं । . अट्ठसयं खवगाणं, उवसमगाणं तु चउवन्ना ॥ १०२॥
सर्थ:- ( नियंठा ) नि थपणाने ( पडिवजंत ) प्रतिपयमान-पाभ१२। (इकाई जा सयं तु बासटुं) धन्यपणे मेथी भांडी कृष्ट ५ १६२ डोय; भ ष्ट ( अट्ठसयं खवगाणं) क्ष५४श्रेणि ही साथे १०८ भांडे अने ( उवसमगाणं तु चउवन्ना) B५शमश्रे िही साथे ५४ छ। भां3. ते पन्ने મળીને એક સાથે. નિગ્રંથપણું પામતા ૧૬૨ જીવો હોય. ૧૦૨.
पुवपवन्ना जइ ते, इकाई हुँति जा सयपुहुत्तं । ___ण्हाया उ पवजंता, अट्ठसयं जाव समयंमि ॥ १०३ ॥
अर्थ:-(जह ते) ने त नि ( पुषपवना ) पूर्व प्रतिपन मे त। ( इकाई हुंति जा सयपुहुत्तं ) मेथी भांडीने यावत् शतYथव डोय. (ण्हाया उ) अनेनात त। (समयंमि) मे समयमा (पवजंता) प्रतिपयमान उत्कृष्ट ( अट्ठसयं जाव ) मेथी भांडन :१०८ सुधी १५४श्रेणिवाडोय. १०3.
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