Book Title: Paumsiri Chariu
Author(s): Dhahil Kavi, Jinvijay
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

Previous | Next

Page 72
________________ शब्दकोशः २.११,५५,६३,१२४,३.१०१, ११९; नाइँ | न्हाणिय ३. ७२ नानीय २.१६२, नावइ १.५,१५१,२.२२२,२५०; ३. १७; ४. ४०, ५२ [ उत्प्रेक्षार्थे ] ननु । पइदियहु १.२०७. प्रतिदिवसम् नक १. ४६, १५४; ३. ९६ (दे.४. ४६) पइसरइ ३.६६ प्रविशति नासिका (गु. नाक) पईवय ३. ८५ प्रदीप नक्वत्तनिव ३.११८ नक्षत्रनृप, चन्द्र पउत्थ ३.१३६ प्रोषित . नजइ ३. ८५, ४. १३४ ज्ञायते पओस १.१४० प्रदोष नणंद १. १२३ जनान्द (गु. नणंद, नणद) पडिणीय ४. १६७ प्रत्यनीक, विरुद्ध नमसैवि ४. ८५ [नमस्य] नमस्कृत्य पडिलाहण ४.७७ प्रतिलाभन, दान नमसण ३.३३ नमस्करण पत्तछिज्जु २. १३१ [पत्रछेद्यम् ] कलाविशेष: नवकार ३. २४ नमस्कार [प]दीहर २. २१८ प्रदीर्घ नं (द्रष्टव्य-नई) पन्हि १. १५७, २०४ पाणि (गु. पानी) नं १. १२२ न पडभार ४. १५२ (दे. ६.६६) प्रारभार, समूह नास ३.१०२ नासा पयपूरण ४. ५८ पदपूरण, निरर्थक नाहि १.६७,४.३०,५१, नाहिँ १.१४५न हि | परिचिन्तवइ २. १६७ परिचिन्तयति निकलिय १. १७३ (दे) निःसृत (गु.नीकळी) परिसुक्कइ ३. ४३ (परि+शुष्क) परिशुष्यति निकालइ १.१६९ निष्कासयति परिहावि[य] २. २०८ परिधापित निकालिय १. १७८ परन्न ३. ११६ प्ररुदित निग्गलिय ४.१४०,१४६, निग्गिलिउ ४.१८२ पलक्किय १. १५९, १६०३. ९५ (दे.)लम्पट निर्मिलित. पलीविय २. १५३ प्रदीप्त निघोस १.८८ निर्घोष पवंग ४. ५७ प्लवङ्ग निडाल (?) १. १५० ललाट पहिलइ १. १४० प्रथमे (गु. पहेले) निडुहइ २. १४६ निर्दहति पंचन्न ३. १४ पञ्चवर्ण निदलिय ४. ४२ निर्दलित पंचुंवरि ४.९० पञ्चोदुम्वरी निप्पकंप १.७८ निष्प्रकम्प पाडल २. २५८ ? निमन्तय २. १९५ निमन्त्रण पालोत्ति १. १५२ पादलूतिका नियल ४.१७४ निगड पासि १. १४०, २.१४३ पाचे,समीपे(गु. पासे) निरारिउ २. १६७ अतिशयम् पिटिवि १. १७८ ताडयिस्वा (गु. पीटई) निरु १.५६; २. १२२, १२५, ४.३०,४२, पिवास ४. १७१ पिपासा (गु. प्यास) ७०, १०३ निश्चितम् , अतिशयम्। पिंछ ४. ९९ पिच्छ निरुत्त २. १३९ ४. ३० (दे) निश्चितम् पीलु १. १०४ हस्तिन् निरंभ-निरुध् पुणदसणु २. १२१ पुनर्दर्शनम् निरंभहि ४.७४; निरंभइ २. १८९. पोएइ ४. ९२ [प्रोत] प्रवयति निलाड १. ४५ ललाट पोत्तउ ४. १९८ पौत्रकः । निवाण २. १३६ निपान (गु. नवाण) पोत्थय ४. १८८ पुस्तक (गु. पोथु) निवुड ४. ६२ निमम (गु.बुडवू) प्राण २. १८३ निम्विय ४. १२३ (2) प्राण-प्रिय १. २०८ निम्वियारु४.११४ निर्विचार | प्रिय १.२००; २. ३७, ३. ४७ निहित ३.१३३ निक्षिप्त प्रियमाहवी२. ७८ नीसास २. ९० निःश्वास (गु. नीसासो) कोकिला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124