Book Title: Paumsiri Chariu Author(s): Dhahil Kavi, Jinvijay Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith MumbaiPage 81
________________ सो धम्मु जेत्थु इच्छा - पमाणु सो धम्मु जेत्थु नवि मोहु लोहु सो धम्मु न पिज्जईं जेत्थु मर्जु सो धम्मु न खज्जइ जेत्थु मासु ' सो धम्मु जेत्थु अकलंकु सील सो धम्मु जेथु तत्तहँ वियारु सो धम्मु जेत्थु सुबिसुडे भाउ 10 15 पउम सिरि चरिउ तिहुयण- परमेसरु देउ जिणेसरु अणुदिणु झाइज्जइ परु न हणिज्जइँ 25 जिर्णा[8B]सासणि भत्तहँ धणु देइ जहिच्छ [ पं० १००-१२० निसि - भोयणु जेथुन कोहुं माणु ॥ १०० सो धम्मु [7]जेत्थु इंदिय - निरोहु ॥ १ सो धम्मु न किज्जई जहि अकर्जु ॥ २ सो धम्मु न जहिँ विसयाहिला ॥ ३ मुक्कंकुसु जेत्थु न काम-पीलु ॥ ४ सो धम्मु जेत्थु मणु निधियारु ॥ ५ सो धम्मु देउ जहिँ वीयराउ ॥ ६ ॥ घत्ता ॥ कन्नंजलिहि" पियहु जिण-वयणइँ निम्म नाणु (?) देहु उज्जालहुँ सिरिधम्मघोस - मुणिवरहँ वाणि उब्भिन्न- वहल- पुलयं गयेहिँ " संसारि" प[ 84] डंता उद्धरेहि" तिहिँ" दिन्नइँ” पंच अणुवयाइँ गिन्हेविणु निरु रोमंचियाइँ दिणि दिणि साधणसिरि धम्मसील 20 जिण-भवणहि मह-महु कारवेइ तंबोल - फुल - आहरण- वत्थं वहिरंधहँ" कुंटहँ" वावणाहँ अणुकंप वत्थाहरण- दाणु 34 Jain Education International [९] गिन्हहुँ पंच-महाये - रयणइँ ॥ ८ सावयधम्मु पयत्तिं पालहु" ॥ ९ निसु विणु सासय- सोक्ख-खाणि ॥ ११० पण विणु मुणिवरु वुत्तु तेहि ॥ ११ गुरु अहँ सावय-धम्मु देहि” ॥ १२ संमत्त- महागुण-संजुयाइँ ॥ १३ वंदेविणु निय-भवणह गयाइँ ॥ १४ धम्मवइ वहइ महंत - लील ॥ १५ मुणिवरहँ जहिच्छइ दार्णे देइ ॥ १६ निय सहिहि पयच्छइ सामि- हत्थं ॥ १७ कर - हीणहँ दीण - दयावणाहँ" ॥ १८ सुहि-सयहँ संवई माणु ॥ १९ 36 ॥ घत्ता ॥ 39 जिय-म मोह - वियारउ । सो जिं धम्मु जगि सारउ ॥ ७ दढ-संमत्तहँ" जो जं वंछंई धण-हीणह उम्मु-मय । धणसिरि जंगम कंप्पलय ॥ १२० 1 Throughout जेथु. 2 कोह. 3 पीज्जइ. 8 मुकं. ° 9 नत्तहि. 10 निवियारु 11 सुविसुद्ध 15 कन्नंजलेहि. 16 गिन्हऊ. 17 महव्वह. 21 धम्मघोसु. 22 °सोख 23 °गमेहिं. 24 वुतु. 28 नई. 29 'महामुणि. 30 महिमहु. 31 ठाणु. 35 कुंट्टहं. 36 दीयावणाहं. 37 वथा . 38 संवेढइ. 41 जहिच्छई. 42 वंछई. 43 जंगमु. 44 कप . 4 मजु. 5 कीज्जइ. 6 अकजु. 7 मंसु 12 जियमय 13 हणींज्जइ. 14 सोजि 18 निमलु. 19 उजालहु. 20 पयति. 25 संसार. 26 उधरेहि . 27 तिदि. 32 वथ. 33 °हथ. 34 पहिरधहं. 39 संमत्तह. 40 उमुक, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124