Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan Author(s): Jineshratnasagar Publisher: Adinath PrakashanPage 39
________________ ॐ हीं श्रीं धृति कीर्ति बुध्धि लक्ष्मी शान्ति तुष्टि पुष्टयः एतेषु नवकलेषु कृताधिवासा भवन्तु भवन्तु स्वाहा। कलश में जल अथवा दूध भरते हुए। ॐ शाँ क्षौं क्षीरसमुद्रोद्भवानि क्षीरोदकान्येषु स्नात्र कलशेष्व वतरन्त्वत्वरन्तु संवौषट्। परमात्मा स्तुति नमो अरिहंताणं। नमो सिध्धाणं। नमो आयरियाणं। नमो उवज्झायाणं। नमो लोए सब्ब साहूणं। एसो पंच नमुक्कारो, सव्व पाव्वपणासणो; मंगला णं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगलं । चत्तारि मंगलं, अरिहंता मंगलं, सिध्धा मंगलं, साहू मंगलं, केवली पन्नत्ते मंगलं। चत्तारि लागुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा, सिध्ध लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवल पन्नत्तो धम्मो लोगुत्तमो। चत्तारि शरणं पवज्जामि, अरिहंते शरणं पवज्जामि, सिध्धे शरणं पवज्जामि, केवली पन्नतं शरणं पवज्जामि। आदिमं पृथ्वी नाथं मादिमं निष्परिग्रहम् । आदिमं तीर्थ नाथं च ऋषभस्वामिनं स्तुमः। श्रीमते शान्ति नाथाय नमः शान्तिविधायिने-त्रैलोक्यस्यामराधीशमुकुटाभ्यःर्चितांघ्रये। या शान्ति : शान्तिजिने, गर्भगतेऽथाजनिष्ट वा जाते। सा शान्तिरत्रभूयात् सर्वसुखोत्पादनाहेतुः।Page Navigation
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