Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Author(s): Jineshratnasagar
Publisher: Adinath Prakashan

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Page 47
________________ ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो उवज्झायाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो परमोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह अणंतोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो ओहिजिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ सव्वोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह केवली जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो भगवओ अजिय जिणस्स सिज्झउ मे भगवई महई महाविज्जा ॐ नमो भगवओ अरिहओ अजिए, अपराजिए, अणिहए, महाबले, लोगसारे सव्वट्ठ सिध्धे ॐ ह्रीं ठः ठः ठः स्वाहा। ॐ ह्रीं श्रीं अहँ श्री संभवनाथाय नमः ॐ ही श्रीं अहँ नमो सिध्धाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो उवज्झायाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो परमोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह अणंतोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह नमो अरिहंताणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो आयरियाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो ओहिजिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह सव्वोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह केवली जिणाणं, ॐ हीं श्रीं अहँ नमो भगवओ अरिहओ संभवस्स सिज्झउ मे भगवई महई महाविज्जा ॐ नमो भगवओ अरिहओ संभवे, महासंभवे, अपराजियस्स, संभूए, महासंभावणे सव्वट्ठसिध्धे ॐ ह्रीं ठः ठः ठः स्वाहा। ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह अभिनंदनस्वामिने नमः ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो अरिहंताणं, ॐ ही श्रीं अहँ नमो सिध्धाणं, ॐ हीं श्रीं अहँ नमो आयरियाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो उवज्झायाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो लोए सव्वसाहूणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो ओहिजिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहं नमो परमोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ सव्वोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ अणंतोहि जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ केवली जिणाणं, ॐ ह्रीं श्रीं अहँ नमो भगवओ अरहओ अभिनंदणस्स सिज्झउ मे भगवई महई महाविज्जा ॐ नमो भगवओ अरिहओ नंदणे, अभिनंदणे, सुनंदणे, महानंदणे सव्वट्ठ सिध्धे ॐ हीं ठः ठः ठः स्वाहा। 30

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