Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Author(s): Jineshratnasagar
Publisher: Adinath Prakashan
________________
893. ॐ अहँ जगवंद्याय नमः । 894. ॐ अर्ह सर्वशिरोमणये नमः 895. ॐ अहँ जितालस्याय नमः 896. ॐ अहँ जगतांपतये नमः 897. ॐ अहँ जिताऽनगाय नमः 898. ॐ अहँ जितक्षयाय नमः 899. ॐ अर्ह जितक्लेशाय नमः 900. ॐ अहँ जनपालाय नमः 901. ॐ अहँ जनस्वामिने नमः 902. ॐ अहँ जगन्मात्रमनोहारिणे नमः 903. ॐ अहँ जितमानाय नमः 904. ॐ अहँ जनेशाय नमः 905. ॐ अहँ जगबंधवे नमः 906. ॐ अहँ जगत्त्यागिने नमः 907. ॐ अहँ जगज्जिष्णवे नमः 908. ॐ अहँ जगद्भत्रे नमः । 909. ॐ अहँ जितामयाय नमः 910. ॐ अहँ जितस्नेहाय नमः 911. ॐ अहँ जगदूरवये नमः 912. ॐ अहँ मनोवशंकराय नमः 913. ॐ अहँ प्रकाशकृताय नमः 914. ॐ अहँ सिद्धात्माय नमः . 915. ॐ अहँ सर्व देवेशाय नमः 916. ॐ अहँ क्षमायुक्लाय नमः 917. ॐ अहँ शाक्षीयाय नमः 918. ॐ अहँ परत्रालाय नमः 919: ॐ अहँ परमछुतिये नमः 920. ॐ अहँ पवित्राय नमः 921. ॐ अहँ परमानन्दाय नमः 922. ॐ अहँ पूनवाक्याय नमः 923. ॐ अहँ पूलाय नमः 924. ॐ अर्ह अजेयाय नमः 925. ॐ अहँ परमज्योतिय नमः
926. ॐ अहँ वरदाय नमः 927. ॐ अहँ निःसंपनाय नमः 928. ॐ अहँ विकाशय नमः 929. ॐ अहँ विश्वलाय नमः 930. ॐ अर्ह श्री प्रसिक्षाय नमः 931. ॐ अहँ श्री विमलाय नमः 931. ॐ अहँ श्री विश्वेशाय नमः 932. ॐ अहँ श्री विकस्वशय नमः 933. ॐ अहँ श्री जनश्रेष्ठाय नमः 934. ॐ अहँ श्री कष्टहर्साय नमः 935. ॐ अर्ह श्री शिवंकशय नमः 936. ॐ अर्ह श्री सदाभावीने नमः 937. ॐ अहँ श्री विशिष्टाय नमः 938. ॐ अहँ श्री विख्यालाय नमः 939. ॐ अहँ श्री विधिवेसाय नमः 940. ॐ अहँ श्री विशारदाय नमः 941. ॐ अहँ श्री विपक्षयवर्जिताय नमः 942. ॐ अहँ श्री वर्जितकामाय नमः 943. ॐ अहँ श्री विश्वकवत्सलाय नमः 944. ॐ अहँ श्री विजयाय नमः 945. ॐ अहँ श्री विधादाताय नमः 946. ॐ अहँ श्री शांतिदाय नमः 947. ॐ अहँ श्री शास्त्रज्ञाय नमः 948. ॐ अहँ श्री शांताय नमः 949. ॐ अहँ श्री दांताय नमः 950. ॐ अहँ श्री विभुक्ताय नमः 951. ॐ अहँ श्री विशदाय नमः 952. ॐ अहँ श्री अमतार्य नमः 953. ॐ अहँ श्री विसाय नमः 954. ॐ अहँ श्री शास्त्र सेवनकाय नमः 955. ॐ अहँ श्री तत्वक्षाय नमः 956. ॐ अहँ श्री शाश्वतोनित्याय नमः 957. ॐ अहँ श्री त्रिकालसाताय नमः
Page Navigation
1 ... 102 103 104 105 106