Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Author(s): Jineshratnasagar
Publisher: Adinath Prakashan

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Page 57
________________ ॐ नमोऽर्हते भगवते परमात्मने, परमाप्ताय, परमकारूणिकाय, सुगताय, तथागताय, महाहंसाय, हंसराजाय, महासत्वाय, महाशिवाय, महाबोधाय, महामैत्राय, सुनिश्चिताय, विगतद्वन्द्वाय, गुणाब्धये, लोकनाथाय, जितमारबलाय. ॐ नमोऽर्हते भगवते सनातनाय, उत्तमश्लोकाय, मुकुन्दाय, गोविन्दाय, विष्णवे, जिष्णवे, अनन्ताय, अच्युताय, श्रीपतये, विश्वरूपाय, हीषिकेशाय, जगन्नाथाय, भूर्भवः स्वः समुत्ताराय, मानंजयाय, कालंजयाय, ध्रुवाय, अजाय, अजेयाय, अजराय, अचलाय, अव्ययाय, विभवे, अचिन्त्याय, असंख्येयाय, आदि संख्याय, आदिकेशवाय, आदिशिवाय, महाब्रह्मणे, परमशिवाय, एकानेकान्त स्वरूपिणे, भावाभावविवर्जिताय, अस्तिनास्तिद्वयातीताय, पुन्य-पाप विरहिताय, सुख-दुःखविविक्ताय, व्यक्ताव्यक्त स्वरूपाय, अनादि मध्य निधानाय, नमोस्तु मुक्तिश्वराय, मुक्तिस्वरूपाय..... ॐ नमोऽर्हते भगवते थ्नरांतकाय, निःसंगाय, निःशंकाय, निर्मलाय, निर्भयाय, निर्द्वन्द्वाय, निस्तरंगाय, निरूर्मये, निरामयाय, निष्कलंकाय, परमदैवताय, सदाशिवाय, महादेवाय, शंकराय, महेश्वराय, महावतिने, महायोगिने, महात्मने, पंचमुखाय, मृत्युंजयाय, अष्टमूर्तये, भूतनाथाय, जगदानन्दाय, जगत्पितामहाय, जगद्देवाधिदेवाय, जगदीश्वराय, जगदादिकन्दाय, जगद्भास्वते, जगत्कर्मसाक्षिणे, जगच्चक्षुषे, त्रयीतनवे, अमृतकराय, शीतकराय, ज्योतिश्चक चक्रिणे, महाज्योति?तिताय, महातमः(पः) पारे सुप्रतिष्ठाय, स्वयंकत्रे, स्वयंहत्रे, स्वयंपालकाय, आत्मेश्वराय, नमो विश्वात्मने..... ॐ नमोऽर्हते भगवते सर्वदेवमयाय, सर्वध्यानमयाय, सर्वज्ञानमयाय, सर्वतेजोमयाय, सर्वमन्त्र मयाय, सर्वरहस्यमयाय, सर्वभावाभाव जीवाजीवेश्वराय, अरहस्यरहस्याय, अस्पृहस्पृणीयाय, अचिन्त्यचिन्तनीयाय, अकामकामधेनवे, असंकल्पितकल्पद्रु माय, अचिन्त्यचिन्तामणये, चर्तुदशरज्वात्मक जीवलोकचूडामणये, चतुरशितिलक्ष जीवयोनि प्राणनाथाय, पुरूषार्थनाथाय, परमार्थनाथाय, जीवनाथाय, देवदानव मानव सिध्धसेनादिनाथाय....

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