Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan Author(s): Jineshratnasagar Publisher: Adinath PrakashanPage 79
________________ कल्पद्रुम चिन्तामणि मुख्यभावा, इच्छाफलं देहभृतां फलन्ति; यन्नामत स्तं श्रितनाकिनाथं, नमामि शंखेश्वर पार्श्वनाथं । योगा वियोगा रिपवो गरिष्ठाः, शोकाग्नि तोयादि भयाःप्रयान्ति; नाशं यतःशान्ततयोडुनाथं, नमामि शंखेश्वर पार्श्वनाथं । भावप्रभेणाभिहितं यदेतत्, स्तुत्यष्टकं दुष्ट विघातकारि; तत्वं सदाऽभिष्टद पाश्वनाथं, नमामि शंखेश्वर पार्श्वनाथं । श्री पार्श्वनाथ स्तोत्रम्। महानन्द लक्ष्मी घनाश्लेष सक्त! सदा भक्त वाञ्छा विदानाभियुक्त! सुरेन्द्रादि सम्पल्लता वारिवाह! प्रभो पार्श्वनाथाय नित्यं नमस्ते। नमस्ते लसत् केवलज्ञानधारन्! नमस्ते महामोह संहारकारिन्! नमस्ते सदानन्द चैतन्य मूर्ते! नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते। नमस्ते जगज्जन्तु रक्षा सुदक्ष! नमस्तेऽनभिज्ञाततत्वैरलक्ष्य ! नमस्तेऽव्ययाचिन्त्य विज्ञान शक्ते! नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते। नमस्ते महादर्प कन्दर्प जेत, नमस्ते शुभध्यान साम्राज्य नेतः! नमस्ते मुनि स्वान्त पाथोज भुंग, नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते। नमस्ते सदाचार कासार हंस! नमस्ते कृपाधार! विश्वावतंस ! नमस्ते सुर प्रेयसी गीत कीर्ते! नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते। नमस्ते सुदुस्तार संसारतायिन्! नमस्ते चतुर्वर्ग संसिद्धिदायिन्! नमस्ते परब्रह्म शर्मप्रदायिन्! नमस्ते नमस्ते नमस्ते नमस्ते।Page Navigation
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