Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Author(s): Jineshratnasagar
Publisher: Adinath Prakashan

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Page 42
________________ प्रतिमा स्थापन : ॐ अत्र क्षेत्रे अत्र काले नामार्हन्तो रूपार्हन्तो द्रव्यार्हन्तो भावार्हन्तः समागताः सुस्थिताः सुनिष्ठिताः सुप्रतिष्ठाः सन्तु स्वाहा। नवगृहों की सीपना करनी संकल्प ओमिति नमो भगवओ अरिहंतसिध्धायरिय-उवज्झाय। वर सव्वसाहू मुणि संघ धम्मतित्थ पवयणस्स। सप्पणव नमो तह भगवई सुहदेवयाए सुहयाइ। सिवसंति देवयाए सिव पवयण देवयाणं च। इन्दागणि जम नेरईय वरूण कुबेर इशाणा। बम्भो नागुत्ति दसण्ह मविय सुदिसाण पालाणं। सोम यम वरूण वेसमण वासवाणं तहेव पंचण्हं । तह लोगपालयाणं सुराइगहाण नव्हणं। साहंतस्स समक्कं मज्झमिणं चेव धम्मणुठाणं। सिध्धमविग्घं गच्छउ जिणाइ नवकारओ धणियं । (हाथ में श्रीफल धारण करना) विश्वातिशायि महिमा ज्वलत्तेजो विराजितम्, शान्तिं शान्तिं करं स्तौमि दूरितव्रात शान्तये। सोडष विद्या देव्योऽपि चतुःषष्ठि सुरेश्वराः, ब्रह्मादयश्च सर्वेऽपि यं सेवन्ते कृतादराः। ॐ ह्रीं श्रीं जये विजये ॐ अजये परैरपि, ॐ तुष्टिं कुरू कुरू पुष्टिं कुरू कुरू शान्तिं महाजये। न क्वापि व्याधयो देहे न ज्वरा न भगंदराः, कास श्वासादयो नैव बाधन्ते शान्ति सेवनात। यक्ष भूत पिशाचााद्या व्यन्तरा दुष्ट मुद्गलाः, सर्वे शाम्यन्तु मे नाथ शान्तिनाथ सुसेवया। (25)

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