Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan Author(s): Jineshratnasagar Publisher: Adinath PrakashanPage 43
________________ ॐ नमो पार्श्वनाथाय विश्व चिंतामणियतेः, ही धरणेन्द्र वैरोट्या पद्मावती युतायते। शान्ति तुष्टि महापुष्टि धृति कीर्ति विद्यायिने, ॐ ह्रीं दृढ व्याल वैताल सर्व व्याधि विनाशिने। जयाऽजिताख्या विजयाख्या ऽपराजिता यान्वितः, दिशांपालेः गृहेय: विद्यादेवी भिरन्वितः। ॐ असिआउसाय नमः तत्र त्रैलोकनाथतं, चतुषष्ठि सुरेन्द्रास्ते भासते छत्र चामरे। ॐ अरै तरू कामधेनुः चिंतामणि कामकुंभ माईयः श्री पासनाह सेवा ग्राहणं सेवींहा संत। ॐ ह्रीं ऐं अहँ तुह दंसणेण शामिय पणासेइ रोगसोगदोहगं कप्पतरूमेवजाईयः तुह दंसण अमफलहेउ स्वाहा। श्री शंखेश्वरमंडन पार्श्वजिन प्रणतः कल्पतरू कल्प, चुरय दुष्ट व्रातं पूरय मे वांछितं नाथः । अथ श्री सिद्धचक्र दंडक ॐ हीं ब्रह्मरूचि ब्रह्मबीज भूताय परमार्हते नमोनमः। ॐ पंचरूवहींकारस्थ श्री ऋषभादि जिन कदम्बाय नमोनमः। ॐ धवल निर्मल मूलानाहत रूपाय त्रिकाल गोचरानन्त द्रव्य -गुण पर्यायात्मक वस्तुपरिच्छेदक जिन प्रवचनाय नमोनमः। श्री सिध्धचक्र मुलमन्त्राराध्य पदाधार रूपाय श्री संघाय नमोनमः। ॐ अर्हद्भ्यो नमोनमः। ॐ सिध्धेभ्यो नमोनमः। ॐ सूरिभ्यो नमोनमः। ॐ उपाध्यायेभ्यो नमोनमः । ॐ सर्वे साधूभ्यो नमोनमः। ॐ सम्यक्दर्शनाय नमोनमः। ॐ सम्यक्ज्ञानाय नमोनमः । ॐ सम्यक्चारित्राय नमोनमः। ॐ सम्यक्तपसे नमोनमः । ॐ स्वरेभ्यो नमोनमः। ॐ वर्गेभ्यो नमोनमः। ॐ सर्वाऽनाहतेभ्यो नमोनमः । ॐ सर्व लब्धिपदेभ्यो नमोनमः। ॐ अष्टविधागुरू पादुकाभ्यो नमोनमः।Page Navigation
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