Book Title: Parmatma ka Abhishek Ek Vigyan
Author(s): Jineshratnasagar
Publisher: Adinath Prakashan

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Page 37
________________ इसलिये विलेपन थोड़ीदेर ऐसे ही रहने दिया। मंगलमृत्तिका के बाद पंचगव्य और क्रमशः अभिषेक धारा आगे बढ़ते हुए सातवाँ अभिषेक शुरू हुआ सभी के आश्चर्य के बीच आकाश में बड़े-बड़े काले बादल छाने लगे, कुछ ही देर में पूरा आकाश काले बादलों से भर गया। रीबि छीटें पड़ने शुरू हो गये, थोड़ी ही देर में बिजली के चमकार और बादलों की गर्जना के साथ ही जोरों की बरसात शुरू हो गई। 18 अभिषेक पूर्ण करके नीचे उतरते समय देखा कि ऊपर चढ़ते समय जो इच्छाकुंड, कुमारकुंड इत्यादि जो कि बिल्कुल शुष्क दिख रहे थे वह न सिर्फ भर गये थे बल्कि बह ते हुए नजर आने लगे। उसी दिन शाम को फिर से जोरों की बारिश हुई और संपूर्ण गुजरात, सौराष्ट्र, कच्छ आदि स्थानों पर भी अच्छी बारिश के समाचार प्राप्त हुए। यह चमत्कार था श्रद्धा, भक्ति, और संकल्प सहित किया हुआ अभिषेक! प्राणी मात्र के जीवन पर ग्रहों का प्रभाव सुविदित है और तीर्थंकर भगवंत के चरणों में इन्द्रादिक का स्थान न होकर सिर्फ नवग्रहों को ही स्थान प्राप्त है यह भी सोचनीय बात है। जब औषधी मिश्रित जल अभिषेक सतत छः महीने तक करने से असाध्य रोग भी ठीक होने का आश्चर्यकारी परिणाम देखने में आया है। इस साल मानव भूषण महातपस्वी परम पूज्य आचार्य देव श्री नवरत्नसागरसूरि म.सा. के नवम् शिष्यरत्न आजीवन छः विगय के त्यागी तपस्वी पूज्य मुनिराज श्री जिनेशरत्नसागरजी म.सा.एवं सरल स्वभावी पू. मुनिराज श्री विरेशरत्नसागरजी म.सा. का चार्तुमास जयपुर के श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ मालवीय नगर में जब से शुरू हुआ जब से आज तक लगातार भगवान का दूध से अभिषेक जारी है, 9-27 एवं 108 लीटर दूध द्वारा परमात्मा का अभिषेक और 1008 पुष्पों से जाप हो रहे हैं। प्रत्येक अभिषेक में लोगों को सुखद अनुभव हो रहे हैं । लगातार 72 दिन तक मालवीय नगर श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ में अभिषेक होने के बाद लोगों का उत्साह बढ़ता गया और अभिषेक दायरा बढ़ता गया और जयपुर के विविध मंदिरों में अभिषेक होने लगे। श्री महावीर (20)

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