Book Title: Pariksha Mukham
Author(s): Manikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha
View full book text ________________
Arunata
नमोऽनेकांताय । सनातनजैनग्रंथमाला।
आचार्यवर्यश्रीमाणिक्यनंदिविरचितं
परीक्षामुखं हिंदीवंगानुवादसहितं।
मंगलाचरणं । प्रमाणादर्थसंसिद्धिस्तदाभासाद्विपर्ययः ।
इति वक्ष्ये तयोलेक्ष्म सिद्धमल्पं लघीयसः॥१॥ हिंदी अनुवाद-प्रमाणसे पदार्थोंका वास्तविक ज्ञान होता है, प्रमाणाभाससे वास्तविकज्ञान नहिं होता; अतएव न्यायशास्त्रसे अनभिज्ञ शिष्योंके हितार्थ इन दोनोंका (प्रमाण और प्रमाणाभासका) संक्षिप्त लक्षण जो कि पूर्वाचार्योंद्वारा प्रसिद्ध है कहा जायगा ॥ १॥ - वंगानुवाद-प्रमाणद्वारा पदार्थेर यथार्थज्ञान हय, प्रमा. णाभासद्वारा पदार्थेर वास्तविकज्ञान हय ना; अतएव न्यायशास्त्रानभिज्ञ शिष्यगणेर हितार्थे उभयेरइ आर्षग्रंथ-प्रसिद्ध-लक्षण संक्षेप करिया बलितछि ॥१॥
Loading... Page Navigation 1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90