Book Title: Pariksha Mukham
Author(s): Manikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha

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Page 38
________________ ( २९ ) . उत्पन्न हइतेछे एइजन्य सहचरहेतुके कार्यहेतु बला जायना। अतएव स्वभावलिंग ओ कार्यलिंग हइते सहचरलिंग पृथकइ थाके ॥ ६४॥ आवरुद्धव्याप्योपलब्धिका उदाहरणअविरुद्धव्याप्योपलब्धिर उदाहरण परिणामी शब्दः कृतकत्वात् य एवं स एवं दृष्टो यथा घटः, कृतकश्चायं, तस्मात्परिणामी, यस्तु न परिणामी स न कृतको दृष्टो यथा वन्ध्यास्तनंधयः कृतकश्चायं तस्मात्परिणामी ॥ ६५॥ हिंदी--शब्द परिणमनस्वभावी है क्योंकि वह किया हुआ है जो जो पदार्थ किया हुआ होता है वह परिणामी देखा गया है जैसा घट । शब्द किया हुआ है इसलिये वह परिणामी है, जो परिणामी नहिं होता वह किया हुआ भी नहिं होता जैसा बांझ स्त्रीका लड़का । यह शब्द किया हुआ है इसलिये वह परिणामी है इस उदाहरणमें धर्मी आदि पांचों अंगका प्रकार बतलाया गया है अन्य उदाहरणोंमें भी इसी रीतिसे घटा लेना चाहिये ॥६५॥ ... बंगला-शब्द परिणमनस्वभाव । ये हेतु-ताहा किछु द्वारा कृत । ये ये पदार्थ कृत, ताहाकेइ परिणामी देखा याय । यथा-घट । शब्द कृत, एजन्य ताहा परिणामी । ये परिणामी हय ना, से कृत ओ हय ना । यथा-'वंध्या स्त्रीर पुत्र' ए शब्द उच्चारित वा कृत । ए जन्यइ ताहा परिणामी। एइ उदाहरणे

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