Book Title: Pariksha Mukham
Author(s): Manikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha

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Page 45
________________ ( ३६ ) भेद हैं--स्वभावानुपलब्धि, व्यापकानुपलब्धि, कार्यानुपलब्धि कारणानुपलब्धि, पूर्वचरानुपलब्धि,उत्तरचरानुपलब्धि,और सहचरानुपलब्धि ॥७॥ ____ बंगला-प्रतिषेध साध्यथाकिले अविरुद्धानुपलब्धि सप्त भेदे विभक्त । यथा-स्वभावानुपलब्धि, व्यापकानुपलब्धि, कार्यानुपलब्धि, कारणानुपलब्धि,पूर्वचरानुपलब्धि, उत्तरचरानुपलब्धि ओ सहचरानुपलाब्ध ॥७८॥ अविरुद्धस्वभावानुपलब्धिका उदाहरण-- अविरुद्ध स्वभावानुपलब्धिर उदाहरण नास्त्यत्र भूतले घटोऽनुपलब्धेः ॥७९॥ हिंदी-इस भूतलपर घट नहिं क्योंकि उसका स्वरूप नहिं दीखता यहांपर प्रतिषेधस्वरूप (घटाभाव) साध्य रहनपर उसके अनुकूल अनुपलब्धिरूप हेतु है ॥७९॥ ___ बंगला-एइ भूतले घटनाई ये हेतु ताहार रूप देखा जायना । एस्थले प्रतिषधस्वरूप (घटाभाव ) साध्य थाकिले ताहार अनुकूल अनुपलब्धिरूप हेतु हइया छे ॥७९॥ अविरुद्धव्यापकानुपलब्धिका उदाहरणअविरुद्धव्यापकानुपलब्धिर उदाहरण नास्त्यत्र शिंशपा वृक्षानुपलब्धेः ॥८॥ हिंदी-यहां शिंशपा ( शीस) नहिं क्योंकि कोई किसी प्रकारका यहां वृक्ष नहिं दीखता इसस्थान पर प्रतिषेधरूप

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