Book Title: Pariksha Mukham
Author(s): Manikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ ( ३७ ) ( शिंशपका अभाव ) व्याप्य साध्य है और उसके अनुकूल वृक्षानुपलब्धि ( वृक्षाभाव ) व्यापक हेतु है अर्थात् यहांपर व्यापकके अभावसे व्याप्यके अभावका अनुमान किया गया है बंगला - एखाने शिंशपा नाई ये हेतु एस्थाने कोन ओ प्रकारेर कोनवृक्ष देखा जाय ना । एस्थले प्रतिषेधरूप ( शिंशपार अभाव) व्याप्ये साध्य ओ ताहार अनुकूल वृक्षानुपलब्धि ( वृक्षाभाव ) व्यापक हेतु हइयाछे । अर्थात् एखाने व्यापकेर अभावे हइते व्याप्येर अभावेर अनुमान करा हइयाछे ॥८०॥ अवरुद्ध कार्यानुपलब्धका उदाहरणअविरुद्धकार्यानुपब्धिर उदाहरण --- नास्त्यत्राप्रतिबद्धसामर्थ्योऽग्निर्धूमानुपलब्धेः ॥ ८१ ॥ हिंदी - यहां पर जिसकी सामर्थ्य किसी द्वारा रुकी नहीं है ऐसी अग्नि नहीं क्योंकि यहां उसके अनुकूल धूआंरूप कार्य नहिं दीखता । इस स्थल पर धूमानुपलब्धिसे अप्रतिहत सामर्थ्ययुक्त अग्निके अभावरूप कारणानुपलब्धिका अनुमान किया · गया ॥ ८१ ॥ बंगला - एस्थाने याहार सामर्थ्य काहारओद्वारा रुद्ध हयना एरुप अग्नि नाई । येहेतु एइखाने ताहार अनुकूल धूम्ररूप कार्य देखा जायेना । एइ स्थले धूम्रानुपलब्धिरूप अनुकूलकार्यानुपलब्धि हइते अप्रतिहत सामर्थ्ययुक्त अग्निर अभावरूप कारणानुपलब्धिर अनुमान करागेल ॥ ८१ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90