Book Title: Pariksha Mukham
Author(s): Manikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha
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( ३८ ) अविरुद्धकारणानुपलब्धिका उदाहरणआविद्धकारणानुपलब्धिर उदाहरण
नास्त्यत्रधूमो ऽनग्नेः ॥ ८२ ॥
हिंदी-यहां धूआं नहीं पाया जाता क्योंकि उसके अनुकूल अग्निरूप कारण यहां नहीं है । यहां पर अनामरूप अविरुद्ध कारणानुपलब्धिसे धूमाभावरूप कार्यानुपलब्धिका अनुमान किया गया है ॥ ८२॥
वंगला-एइ स्थाने धूम्र नाई । ये हेतु ताहार अनुकूल अग्निरूप कारण एखाने नाइ । एइ स्थले अग्निरूप अविरुद्धकारणानुपलब्धि हइते धूमाभावरूप कार्यानुपलब्धिर अनुमान करा गेल ॥ ८२ ॥ अविरुद्धपूर्वचरानुपलब्धिका उदाहरणअविरुद्धपूर्वचरानुपलब्धिर उदाहरण
न भविष्यति मुहूतीते शकटं कृतिकोदयानुपलब्धेः॥८३॥
हिंदी-एक मुहूर्तके बाद रोहिणीका उदय न होगा क्योंकि इससमय कृतिकाका उदय नहिं हुआ । यहां कृतिकोदयानुपलब्धिरूप आविरुद्धपूर्वचरानुपलब्धिसे शकटोदयाभावरूप उत्तरचरानुपलंभरूपसाध्यकी सिद्धि की गई ॥ ८३ ॥
बंगला--एक मुहूर्तर (घटिकाद्वयेर ) पर रोहिणीर उदय हइबेना । ये हेतु एइ समये कृतिकार ओ उदय हय नाइ । एइ खाने कृतिकोदयानुपलब्धिरूप आविरुद्ध पूर्वचरानु