Book Title: Pariksha Mukham
Author(s): Manikyanandisuri, Gajadharlal Jain, Surendrakumar
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Samstha
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धर्मी प्रभृति अनुमानेर पंच अंगेर भेद कथित हइयाछे । अन्य उदाहरणेओ एरूप घटित करिया लइबे ॥ ६५ ॥• . अविरुद्धकार्योपलब्धिका उदाहरण
अस्त्यत्र देहिनि बुद्धिाहारादेः ॥ ६६ ॥
हिंदी इस प्राणीमें बुद्धि है क्योंकि यह बोलता चलता आदि है यहां पर साध्यरूप बुद्धिका बचनादिस्वरूपहेतु कार्य है ॥ ६६ ॥ ___ बंगला-अविरुद्धकार्योपलब्धिर उदाहरण-एइ प्राणीते बुद्धि आछे । ये हेतु-ए बलिते छ, चलिते छे । ए खाने साध्यरूप बुद्धिर वचनप्रभृतिरूप हेतु कार्य हइयाछे ॥ ६६ ॥ आविरुद्ध कारणोपलब्धिका उदाहरणअविरुद्धकारणोपलब्धिर उदाहरण
अस्त्यत्र छाया छत्रात् ॥ ६७॥
हिंदी-यहां छाया है क्योंकि छायाका कारण छत्र मौजूद है यहां साध्यस्वरूप छायाका कारण छत्र है ।। ६७ ॥
बंगला-एईस्थाने छाया आछे । ये हेतु छायारकारण छत्र विद्यमान । एखाने साध्यस्वरूप छायार कारण छत्र आछे ॥ ६७ ॥ अविरुद्धपूर्वचरोपलब्धिका उदाहरण-- अविरुद्धपूर्वचरोपलब्धिर उदाहरण
उदेष्यति शकटं कृतिकोदयात् ॥६८ ॥