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પ્રસ્તાવના
वृत्तिका आदि - अन्तिम भाग छूट गया हो. जैसलमेर के ताड़पत्रीय संग्रहकी ज्योतिष्करंडक मूलसूत्रकी प्रतिमें इसका आदि और अन्तका भाग नहीं है. आचार्य मलयगिरिको ऐसे ही कुलकी कोई खंडित प्रति मिली होगी जिससे अनुसंधान करके उन्होंने अपनी वृत्तिकी रचना की होगी.
इन आचार्यने 'शत्रुंजयकल' की भी रचना की है. नागार्जुन योगी उनका उपासक था। इसने इन्हीं आचार्यके नामसे शत्रुंजय महातीर्थ की तलहटी में पादलितनगर [ पालीताणा ] वसाया था, ऐसी अनुश्रुति जैन ग्रन्थोंमें पाई जाती है.
भुखो, सागरगछ नैन उपाश्रय-वडोहराद्वारा ४. स. १८६८ मा अाशित “ज्ञानांनसि” ગ્રંથના ‘હિંદી તથા સંસ્કૃત લેખ વિભાગ'નાં પૃષ્ઠ ૨૫–૨ ૬.
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પ્રસ્તુત ગ્રંથના સંપાદન-પ્રકાશનનું મહત્ત્વ
આ ગ્રંથના પ્રકાશનથી જ્યોતિષ્કડક ગ્રંથની સંપૂર્ણ મૂલવાચના મળી છે અને સમગ્ર વાચના શક્ય સાધનોથી શુદ્ધ થઈ શકી છે. આથી આ વિષયના અભ્યાસીઓને સવિશેષ અનુકૂળતા થશે. આ હકીકતની સ્પષ્ટતા માટે વધારે ન લખતાં ફક્ત એક સૂચક માહિતી આપું છું
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વ્રુત્તિસહિત અગાઉ મુદ્રિત થયેલ મૂલવાચનામાં એક સ્થળે અવ્યવસ્થિત અને અશુદ્ધ ગાથા छपाई छे. या गाथा गंगे, सान्थी ४८ वर्ष पडे, श्री आ. २. उाणीने विभासण थ छे. શ્રી કુલકર્ણીએ લખેલો અને ‘જૈન સત્યપ્રકાશ' માસિકના વિ. સં. ૧૯૯૭ના આષાઢ માસના અંકમાં (વર્ષ ૬, અંક ૧૧ મો) પ્રકાશિત થયેલો સમગ્ર લેખ પ્રેરણારૂપ હોવાથી નીચે આપ્યો છે ઃ—
ऐतिहासिक दृष्टी से प्राचीन जैन वाङ्मयका महत्त्व और
उसके संशोधनकी आवश्यकता
लेखक : श्रीयुत भा. रं. कुलकर्णी, बी. ए., शिरपुर, (प. खानदेश )
जैनधर्म के प्राचीन साहियकी ओर जैनेतर विद्वानोंका ध्यान बहुत धीरे धीरे खींचा जा रहा है। पौर्वात्य और पाश्चात्य विद्वानोंने जितने परिश्रमपूर्वक बौद्ध धर्मका अभ्यास और आलोचन किया है उससे कई गुना कमती अभ्यास जैन साहित्यका किया है। कालानुक्रमसे जैनधर्मका बौद्धधर्मसे ज्येष्ठत्व विद्वानों में संमत हो चुका है, फिर भी भारतीय पाठशालाओं में पढाये जानेवाले अनेक पाठ्य पुस्तकों में इस विषय में विपरीत विधान' पाये जाते हैं। जैनधर्म यह सनातनधर्म है ऐसा भी दावा किया जाता है, किन्तु श्रद्धाके एक मात्र सहारे पर इस प्रकारका दावा अन्य धर्मीयोंके मुकाबले में कैसे हो सकता १ आज कल के भौतिक विज्ञानमय और बुद्धिप्रधान जगतमें सनातनका व्यवहार्य अर्थ प्राचीनतम ही हो
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१. जैनधर्म यह बौद्धधर्मसे अर्वाचीन है और महावीर स्वामीने जैनधर्म प्रस्थापित किया ऐसे विधान अनेक पाठ्यपुस्तकों में पाये जाते हैं।
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