Book Title: Painnay suttai Part 3 Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak Publisher: Mahavir Jain VidyalayPage 68
________________ २५ जोइसकरंडगं एवं दिवसे दिवसे दिवसस्स बावट्ठिभागं बावट्ठिभागं परिहायंतो बावट्ठीय दिवसेहिं एवं ओमरतं समुट्ठवेति । एवं जे एक्कटिं अहोरत्ता ते बावट्ठी तिथी होति त्ति ॥१२१॥ एक्कम्मि अहोरते दो वि तिधी जत्थ णिधणमेजासु । सोऽत्थ तिधी परिहायति सुहुमेण हवेज सो चरिमो ॥१२२॥ एवं तिधि(१धी) अहोरत्तातो बावट्ठिभागं बावट्ठिभागं परिहायमाणो एगट्ठिमो य दिवसो बावट्ठिमो य तिधी समगं समप्पति ति। एवं सण्हं परिहायमाणो परिहायमाणो सुहुमेणेगसट्ठिमो दिवसो तिधी य होति त्ति ॥१२२॥ ततियम्मि ओमरत्तं कायव्वं सत्तैमे य पक्खम्मि। वास-हिम-गिरहकाले चातुम्मासी विधीयते ॥१२३॥ वासापक्खे ततिए ओमरत्तं सत्तमे य पक्खे । एवं हेमंताणं पि ततिए पक्खे सत्तमे य पक्खे । गिम्हे वि य ततिए पक्खे सत्तमे य पक्खे ओमरत्तं कातव्वं ॥१२३॥ पाडिवगओमरते कैझ्या बितिया समप्पते तु तिधी १ । बितियाए वा ततिया १ ततियाए वा चउत्थी तु ? ॥१२४॥ सेसासु चेव काहिति तिधीसु ववहारगणितँणिद्दिढें । सुहुमेण परिलतिधी संजायति कम्हि पव्वम्मि १ ॥१२५ ॥ एत्थ करणगाहा रूवाधिगा ये ओजा पव्वा बिगुणा हवंति कातव्वा । एमेव हवति जुम्मे एगत्तीसाजुता पव्वा ॥ १२६॥ १. °त्तमम्मि प० जे० ख० पु० मु०वि०॥ २. मासे विपु० मु० म०वि०॥ ३. कतिया जे. खं०॥ ४. समप्पती वि सिधी जे० खं०। समविहीद तिही वि. पु० मु० म० सू०॥ ५.णियदिट्टासु। जे० खं० वि० पु० मु० म० सू०॥ ६. उ जे० खं० पु० मु०॥ ७. °जा बिगुणा पवा ह° जे. खं० पु० मु० सू० वि०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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