Book Title: Painnay suttai Part 3
Author(s): Punyavijay, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text
________________
जोइसकरंडगं
३९
जहासंभवं सोधणं कातव्वं । एत्थ अट्ठहिं अहोरत्तेहिं चतुव्वीसाए मुहुत्तेहिं पूसो सुज्झति । बावट्ठअहोरत्तेहिं बारसेहि य मुहुत्तेहिं उत्तराफग्गुणीओ सुज्झति । सोलसुत्तरेणं दिवससतेणं विसाहाओ सुज्झति त्ति । तेसीतेण दिवससतेण उत्तरासाठा सुज्झति । बेहिं दिवससतेहिं चउपण्णेहिं छहिं मुहुत्तेहिं उत्तरापोट्ठवता सुज्झति । तर्हि दिवससतेहिं एक्कवीसेहिं छहि य मुहुत्तेहिं रोहिणीओ सुज्झंति त्ति । तिहिं दिवससतेहिं एक्कट्ठेहिं बारसहि य मुहुत्तेहिं पुणव्वसू सुज्झति त्ति । एत्थ जाणि अंतराणि अप्पणी पभागेहिं सुज्झति । जहा - अद्धखेत्ताणि छहिं दिवसेहिं एक्कवीसाए मुहुत्तेर्द्दि, समखेत्ताणि तेरसेहिं दिवेसेहिं बारसहि य मुहुत्तेहिं, दिवड्डखेत्ताणि वीसाये दिवसेहिं तिहि य मुहुत्तेहिं ति । इह पुण बावण्णातो दिवससतातो १५२ सोलसतेण ११६ विसाहा सुद्धा, सेसा एत्तो छत्तीसा ३६ । अणुराहा तेरसहिं दिवसेहिं बारसेहि य मुहुत्तेहिं सुद्धा, सेसा बावीस दिवसा अट्ठारस य मुहुत्ता । पुणो छहिं दिवसेहिं जेट्ठा सुद्धा एक्कवीसं च मुहुत्ता दिवस घेत्तूण, सेसा पण्णरस दिवसा सत्तावीसं च मुहुत्ता । एत्तो मूल तेरसहिं दिवसेहिं [ बारसेहि ] य मुहुत्तेहिं सुद्धो, सेसा बे दिवसा पण्णरस य मुहुत्ता, एस कालो पुव्वासाढापविट्ठस्स आदिच्चस्स त्ति | सूरकरणं ॥ १७७ तः १८१ ॥
णक्खत्त
- चंदजोगे णियमा सत्तट्ठिए पडुप्पण्णे ।
पैण्णेण सतेण भते लद्धं सूरस्स सो जोगो ॥ १८२ ॥
जत्थ चंदो पण्णरस मुहुत्ते अच्छति तहिं सूरो केवतियं कालं अच्छति ? त्ति एत्थ करणं - एते पण्णरस सत्तट्ठीए गुणिता जातं पंचुत्तरं सहस्सं १००५, एतस्स पणेण सतेण १५० भागो, लद्धा छ दिवसा, सेसं पंचुत्तरं सतं १०५, एते मुहुत्ते काहामो त्ति तीसाए छेदस्स य समणुण्णाए गमो, [?? तिभागेणोवट्टणा, एक्केण गुणिता ११] पंचहिं ५ पंचुत्तरसतस्स १०५ भागो, लद्धा एक्कवीसं २१ मुहुत्ता। एस सूरस्स अद्धखेत्तजोगो । एवं अद्ध-सम-दिवडूखेत्तेसु अभिजिं मिव कातव्वं ॥ १८२ ॥
१. 'जोगा सत्तहिं नियमा तु ते पडुप्पण्णा जे० खं० ॥ २. पण्णाससतेण पु० ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166